SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 28

काले धन की मरीचिका में हम - विजय संघवी

हमारा देश एक मरीचिका का पीछा कर रहा है, जिसका नाम है विदेशों में जमा काला धन। अगर काले धन का शगूफा बार-बार छेड़ा जाता है तो उसका कारण यह है कि इससे राजनेताओं को दूसरे मामलों से देशवासियों का ध्यान भटकाने का मौका मिल जाता है, अफसरों को देश में मौजूद काली संपदा को नजरअंदाज करने की सुविधा मिल जाती है, न्यायपालिका को सरकार को फटकार लगाने का अवसर...

More »

कोर्ट की फटकार कितनी असरदार? - राजीव सचान

पिछले दिनों काले धन के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाने के चलते देश को यह संदेश गया, मानो पिछली सरकार की तरह नई सरकार भी इस मसले पर ढिलाई बरत रही है। लेकिन अब स्थिति यह है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में काम कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) और सरकार का स्वर एक ही है। दोनों ही कह रहे हैं...

More »

पूत के पांव और सौ दिन सरकार के- योगेन्द्र यादव

"पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं" वाली कहावत सुनकर मैं अक्सर सोचता हूं कि पालने में नामुराद पांव ही क्यों देखे जाते हैं? शायद, इसलिए कि पांव देखने से पूत के चाल-चलन का पता चलता है। भान होता है कि पूत के पांव आगे किस ओर जाएंगे, कहां रूके-टिकेंगे और कहां फिसलेंगे। चूंकि नई सरकार और उसके मुखिया ने अभी बस सौ दिन पूरे किए हैं, सो उसके...

More »

देश की जीडीपी के 75 फीसदी के बराबर काला धन है हमारे मुल्क में!- मुकुंद हरि

देश के प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र "द हिन्दू" ने भारत में काले धन के आंकड़े को लेकर दी गई एक खबर देकर पूरे देश को चौंका दिया है. द हिन्दू की पत्रकार पूजा महरा के हवाले से लिखी गई खबर के मुताबिक देश में काले धन की मौजूदगी और उसके आंकड़े की पड़ताल के लिए सरकार की तरफ से जांच करवाई गई थी, जिसकी खुफिया रिपोर्ट के कुछ अंशों को...

More »

कालेधन पर अध्ययनः गोल माल है भाई सब गोलमाल...

नयी दिल्ली: पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा शुरु कराया गया अध्ययन तीन सालों के बाद भी बेनतीजा निकला. सरकार अबतक काले धन को लेकर कोई विशेष कदम नहीं उठा पायी है.   पिछली सरकार ने 21 मार्च 2011 को यह अध्ययन शुरु कराया था और इसके लिए 18 महीने का समय दिया था जो 21 सितबर 2012 को पूरा हो गया था. यह अध्ययन नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक फाइनांस एंड पालिसी (एनआईपीएफपी), नैशनल...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close