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कश्मीर में पत्रकारों के लिए प्रशासन ने बनाई नई नीति, खबर छापने से पहले बताना होगा, सड़कों पर उतरे पत्रकार

-सबरंग, जम्मू-कश्मीर में प्रशासन की नई मीडिया पॉलिसी के खिलाफ 'जे एंड के मीडिया गिल्ड' के बैनर तले पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन किया और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। पत्रकारों ने यहां प्रेस एनक्लेव में इकट्ठा होकर 'मीडिया को चुप कराना बंद करो, हम लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं' आदि नारों के साथ बैनर निकालकर प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नई मीडिया पॉलिसी जम्मू और कश्मीर...

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वैश्विक आपदा के बहाने ऑनलाइन उच्च शिक्षा देश के गरीब और ग्रामीण वर्ग के बीच असमानता की खाई को और बढ़ाएगी

-द प्रिंट, कोविड-19 जैसी वैश्विक आपदा का दुष्प्रभाव उच्च शिक्षा पर पड़ना स्वाभाविक है. लेकिन इस आपदा को भारत सरकार इलीट समुदायों के लिए ‘अवसर’ बनाने की नीयत से काम कर रही है. आपदा के वक्त वैकल्पिक निर्देशों की आड़ में तमाम विवादित आपत्तिजनक प्रावधानों को लागू किया जा रहा है. उसमें एक नई चुनौती बनकर सामने आई है- ऑनलाइन उच्च शिक्षा. दिल्ली विश्वविद्यालय ने हाल ही में निर्देश दिया कि वह...

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कश्मीर में मीडिया और इंटरनेट पर लगाए गए प्रतिबंधों से भारत की प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग गिरी, हालांकि स्कोर में हुआ सुधार

हाल ही में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स - आरएसएफ) जोकि एक मीडिया वॉचडॉग संगठन है और अभिव्यक्ति व सूचना की स्वतंत्रता के लिए काम करता है, ने एक रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में साल 2018 हुई छह पत्रकारों की हत्याओं से उल्ट साल 2019 में पत्रकारों की हत्या का एक भी मामला सामने नहीं आया. तब भी यह कहना गलत होगा कि...

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रंजन गोगोई इंटरव्यू: फैसले के बदले मुझे कुछ लेना ही होता तो महज....

-इंडिया टूडे, देश के प्रधान न्यायाधीश के पद से रिटायर होने के महज चार महीने बाद ही राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत राज्यसभा सदस्यता की 19 मार्च को शपथ लेकर रंजन गोगोई ने अच्छा-खासा विवाद खड़ा कर दिया. विपक्षी नेताओं और कई न्यायविदों ने नैतिकता का सवाल उठाकर आरोप लगाया कि यह पद पर रहते हुए मोदी सरकार के पक्ष में दिए गए कई फैसलों के बदले गोगोई को सीधे-सीधे पुरस्कृत...

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अनुच्छेद 370: संघ के सपने को पूरा करने के लिए संविधान को तार-तार कर दिया गया-- सिद्धार्थ वरदराजन

भारत में दक्षिणपंथी राजनीति पुराना मिथक रहा है कि जम्मू-कश्मीर को गैर-जरूरी किस्म का संवैधानिक दर्जा मिला हुआ है और वहां की समस्याओं की जड़ संविधान के अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीरियों के साथ किया जाने वाला विशेष व्यवहार है. और अब जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी ने अपने ही गढ़े गए झूठ को सही साबित करने के लिए इस समस्याप्रद अनुच्छेद को समाप्त कर दिया है,...

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