“गन्ना मूल्य स्थिर रखकर किसान की आय दोगुनी करने के फॉमूले के लिए तो शायद किसी नोबेल अर्थशास्त्री को ही तलाशना होगा” साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार और तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारा दिया था- अच्छे दिन आने वाले हैं। उनकी सरकार बनी भी और अब मोदी का प्रधानमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल चल रहा है। इस बीच अच्छे दिन...
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वायु प्रदूषण को रोकने के लिए फसल चक्र बदलने की जरूरत
हाल के समय में उत्तर भारत और विशेषकर दिल्ली एनसीआर वायु प्रदूषण की चपेट में है। अक्टूबर-नवंबर में हवा की गुणवत्ता न्यूनतम स्तर तक पहुंच गई है। मीडिया रिपोर्टों में इसका बड़ा कारण पराली ( धान फसल के ठंडल) जलाना बताया गया है, और इससे दिल्ली और आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर खासा प्रभाव पड़ रहा है। सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फारकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR-India) की वेबसाइट...
More »चंपारण से निकला रास्ता- राजू पांडेय
चंपारण सत्याग्रह नील की खेती करने वाले किसानों के अधिकारों के लिए संगठित संघर्ष के रूप में विख्यात है। इसके एक सदी बाद भी देश का किसान बदहाल है। 2010-11 के आंकड़ों के अनुसार, देश के 67.04 प्रतिशत किसान परिवार सीमांत हैं जबकि 17.93 प्रतिशत कृषक परिवार लघु की श्रेणी में आते हैं। सरकार ने संसद को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण द्वारा जुलाई 2012 से जून 2013 के संदर्भ में संकलित...
More »प्रसंगवश : संभावनाओं से भरे खेतों को बाजार से जोड़ना जरूरी
मौसम रूठा, बादलों से ओले बरसे और देखते ही देखते मध्यप्रदेश के एक हिस्से की फसलें जमीन पर जा गिरीं! यहां सरकार की मजबूरी समझी जा सकती है, लेकिन उसी दौरान दूसरे इलाके के खेतों में बंपर पैदावार की वजह से भाव नहीं मिले और किसान सड़कों पर टमाटर फेंकते, खेतों से पौधे उखाड़ते नजर आए! यह हर हाल में अस्वीकार होना चाहिए, किसान को भी और सरकार को भी!...
More »बुनियादी ढांचा सुधरने से थमेंगी कीमतें-- रमेश कुमार दुबे
बंपर उत्पादन और तमाम सरकारी उपायों के बावजूद महंगाई दर में बढ़ोतरी से साबित होता है कि वितरण के मोर्चे पर अभी बहुत कुछ करना है। पिछले साढ़े तीन वर्षों में मोदी सरकार ने ग्रामीण सड़कों, सिंचाई, फसल बीमा और बिजली आपूर्ति के क्षेत्र में अहम सुधार किया है लेकिन भंडारण-विपणन ढांचे में सुधार अभी भी दूर की कौड़ी बना हुआ है। यही कारण है कि कुछ महीने पहले तक...
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