भाषा समाज की आत्मा और मानवीय अस्तित्व को एक सूत्र में पिरोने वाला धागा है। यह चिरकाल से ही विचारों और भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम रही है। शब्द मानवता के विश्व-दर्शन को निर्धारित करते हैं। हम शब्दों को अर्थों या उन विचारों से अलग नहीं कर सकते, जिन्हें हम दूसरों तक पहुंचाना चाहते हैं। शायद इसीलिए भारत के सुविख्यात महाकवि कालिदास ने अपनी कालजयी काव्यकृति 'रघुवंशम का आरंभ ही...
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पंचायती राज से विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए-- नरेन्द्र सिंह तोमर
पंचायती राज व्यवस्था स्थानीय स्वशासन का एक विशिष्ट स्वरूप है। हमारे यहां पंच-परमेश्वर की अवधारणा रही है और हमारी संस्कृति में इसकी जड़ें काफी गहरी हैं। औपनिवेशिक शासन ने हालांकि इस पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम 1992 के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास की जमीन तैयार हुई। 24 अप्रैल को यह ऐतिहासिक संविधान संशोधन लागू हुआ...
More »राजतंत्र से जनतंत्र तक-- संदीप मानुधने
जब अंगरेज भारत छोड़ कर गये, उन्होंने वे सभी प्रयास प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से किये, जिससे उपमहाद्वीप में सदा के लिए दरारें पड़ी रहें. अंगरेजों की दिली तमन्ना थी कि भारत टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा, क्योंकि इसे एक करनेवाला कोई है ही नहीं. लेकिन, उनके मंसूबों पर भारत के नेताओं ने पानी फेर दिया. सरदार पटेल ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया, पंडित नेहरू ने एक लोकतांत्रिक...
More »कब बहुरेंगे हथकरघा के दिन-- मोनिका शर्मा
हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने वाली एक सार्थक पहल के तहत अब केरल में सरकारी स्कूलों के बच्चे हैंडलूम के स्कूल यूनिफार्म पहनेंगे। राज्य सरकार ने यह निर्णय हथकरघा उत्पादों की खपत बढ़ाने के लिए किया है। ध्यान देने वाली बात है कि इन दिनों हैंडलूम को लेकर फिर से चर्चा हो रही है। हाल ही में कपड़ामंत्री स्मृति ईरानी ने भी ट्विटर पर अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए...
More »नवाचारों से ज्यादा जरूरी है बिजली व्यवस्था में सुधार
मनीष वैद्य। बिजली के क्षेत्र में मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाना और उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देना, मप्र बिजली वितरण कंपनी और इससे जुड़े विभागों का घोषित उद्देश्य है। मगर खेद है कि ये सब मिलकर भी इस एक उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहे। आंकड़ों का मायाजाल बताता है कि बिजली संबंधी व्यवस्थाएं सुधारने के लिए बीते कुछ सालों में करोड़ों रुपए खर्च किए गए। साथ ही...
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