क्या आप जानते हैं कि आपकी कार बनाते समय कितने लोगों की अँगुलियाँ कट गई थी ? आपने जिस भी कंपनी से कार खरीदी है, क्या वहाँ सुरक्षा मानकों की पालना की जा रही थी ? मजदूरों की सुरक्षा के लिए कौनसे कदम उठाएँ गए हैं ? क्या वो पर्याप्त हैं ? इसी तरह के सवाल का ज़वाब तलाशती है– ‘सेफ इन इंडिया’ की रिपोर्ट – सेफ्टी–नीति 2023 और CRUSHED 2022. ऑटो–मोबाइल क्षेत्र,...
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आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की जांच करती आरबीआई की रिपोर्ट
मोंगाबे हिंदी, 10 अगस्त भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2022-23 के लिए मुद्रा और वित्त रिपोर्ट (आरसीएफ) में मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन पर ध्यान दिया है। यह भारत में केंद्रीय बैंकिंग और व्यापक आर्थिक मुद्दों से संबंधित समसामयिक मुद्दों पर एक थीम-आधारित वार्षिक रिपोर्ट है। इस साल की रिपोर्ट नीतिगत प्राथमिकता के रूप में जलवायु लक्ष्यों पर जोर देती है और भारत के लिए जलवायु परिवर्तन के संभावित व्यापक-वित्तीय परिणामों...
More »कम गरीबी, असमानता, फिर भी पंजाब अपनी उपलब्धियों पर आराम नहीं कर सकता क्योंकि शहरों में गरीबी बढ़ी है
दिप्रिंट, 1 अगस्त पिछले सप्ताह जारी नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 के अनुसार, पंजाब की 5 प्रतिशत से भी कम आबादी 2021 में बहुआयामी गरीबी में जी रही थी. इसके अलावा, राज्य सरकार के जिला-वार जीडीपी डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि राज्य में कम आय असमानता देखी जा रही है. इसका अर्थ क्या है? सीधे शब्दों में कहें तो, जबकि राज्य में बहुआयामी गरीबी में रहने वालों...
More »जोशीमठ भूधंसाव के मामले में केंद्र सरकार ने दिया गोलमोल जवाब
डाउन टू अर्थ, 1 अगस्त जोशीमठ भूधंसाव के मामले में सरकार से संसद में सवाल पूछा गया, लेकिन सरकार की ओर से केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पुरानी बातें दोहरा दी। उन्होंने बताया कि भूधंसाव के बाद तपोवन-विष्णुगाड पन बिजली परियोजना और हेलंंग मारवाड़ी बाइपास का काम रोक दिया गया था। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि हेलंग बाइपास का काम बाद में शुरू...
More »दिल्ली की बाढ़ के बाद क्या भारतीय नीति निर्माता जलवायु अनुकूलन सबक पर ध्यान दे रहे हैं?
द थर्ड पोल, 24 जुलाई दिल्ली में आई बाढ़, पिछले सप्ताह से ही, भारत में, खबरों में बनी हुई है। इस बाढ़ के चलते, दिल्ली में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच, सियासी तकरार और आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गया है। साथ ही, न्यूज चैनलों के स्टूडियो में भी रोजाना अच्छा-खासा वाक युद्ध देखने को मिल रहा है। लेकिन इस चीख-चिल्लाहट वाली बयानबाजी के बीच असली मुद्दा कहीं खो गया है। असली मुद्दा यही...
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