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क्या उबर पाएगा हिंदुस्तान?

-इंडिया टूडे, अर्थव्यवस्था: विशेषज्ञों की राय पहले से ही संकटों में घिरी भारत की अर्थव्यवस्था को कोविड ने जोरदार झटका दिया है और देश के सामने एक बड़ी मंदी मुंह बाए खड़ी है. इंडिया टुडे के अर्थशास्त्रियों का बोर्ड (बीआइटीई) इस बात का अंदाजा लगा रहा है कि यह कितने दिनों तक चलने वाला है और इस बीमार अर्थव्यवस्था को चंगा करने के लिए उनकी क्या सलाह है   मैत्रीश घटक, प्रोफेसर, लंदन स्कूल...

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मोदी सरकार और रिजर्व बैंक 2008 के संकट में की गई भूलों से सबक ले सकते हैं, मगर समय हाथ से निकल रहा है

-द प्रिंट, लॉकडाउन में पांचवां महीना बीत रहा है मगर कोविड-19 की महामारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है और अर्थव्यवस्था निरंतर नीचे फिसलती जा रही है. आधुनिक भारत ने ऐसी महामारी पहले नहीं झेली थी, लेकिन इसका आर्थिक प्रभाव जाना-पहचाना है— सुस्त आर्थिक वृद्धि, ऊंची मुद्रास्फीति, और बेहिसाब बुरे कर्जों का घातक मेल. 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी) के बाद के दौर में भी यही स्थिति थी....

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60 दिन का लॉकडाउन बनाम 60 साल के पर्यावरणीय प्रोटोकॉलः कुछ नीतिगत सुझाव

-जनपथ, कोविड-19 महामारी के चलते वैश्विक लॉकडाउन ने भले ही तमाम देशों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे को अस्त-व्यस्त कर दिया हो लेकिन पर्यावरण के लिए यह काल बहुत सुखद साबित हुआ है. विश्व भर से आ रहे तमाम आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है कि विगत 60 दिनों में पर्यावरणीय स्थिति में जो सुधार देखने को मिला है वह 60 वर्षों में किये गये तमाम प्रयासों और जलवायु परिवर्तन के...

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संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढ़ियों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं

-इंडिया टूडे, बीसवीं सदी की महामंदी, 1991 के भारतीय आर्थिक संकट और 2008 की ग्लोबल बैंकिंग आपदा का इतिहास हमें कुरेद-कुरेद कर बताता है कि अंतत: वही जीतते हैं जो एक अच्छी आपदा को बर्बाद नहीं करते. संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढि़यों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं. बड़े बदलाव के लिए किसी बड़े संकट का इंतजार था तो मुराद अब पूरी हो गई है. संकट में...

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अर्थव्यवस्था की हालत सुधारने से पहले मोदी सरकार हमें यह सच बताए कि इसमें गड़बड़ क्या है

भारतीय अर्थव्यवस्था एक ऐसे दौर से गुजर रही है जिसमें किसी अच्छी खबर को ढूंढ पाना मुश्किल हो गया है. आर्थिक वृद्धि सुस्त हो गई है. निर्यात निरंतर घटता जा रहा है. खुदरे की महंगाई बढ़ती जा रही है. रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं. बैंक क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट है. बिजली की खपत घट रही है. कर राजस्व काफी धीमी गति से बढ़ रहा है, बजट में लगाए...

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