पचपन साल के पहलू खान और तेईस वर्षीय मशाल खान में खान उपनाम के अतिरिक्त क्या समानता हो सकती है? अलवर जिले के बहरोड़ कस्बे में एक अप्रैल को निर्ममता से गोरक्षकों द्वारा कत्ल किए गए पहलू खान और पेशावर के पास मरदान में 13 अप्रैल को उतने ही वहशियाना तरीके से ईश निंदा के फर्जी आरोप में मारे गए मशाल खान की दुनिया एकदम अलग थी। हरियाणा में मेवात...
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फिजूलखर्ची से ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था-- एस. श्रीनिवासन
मध्य वर्ग अपने राज्य के बजट को आमतौर पर नजरंदाज करता है। उसके लिए यह एक सालाना कवायद है, जो उसके रोजमर्रा के जीवन से बहुत ज्यादा वास्ता नहीं रखती। राजनीतिक टिप्पणीकार और मीडिया भी इसे लेकर एक तरह से उदासीन रहते हैं। मगर राज्य के बजट महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये बताते हैं कि सियासी दलों ने चुनाव के दरम्यान जो वादा किया था, उसे वे पूरा कर रहे हैं...
More »शिक्षा से सामाजिक सद्भाव-- जगमोहन सिंह राजपूत
यह हर राष्ट्र का पहला कर्तव्य है कि वह अपना भविष्य संवारने के लिए वर्तमान का लगातार वस्तुनिष्ठ विश्लेषण और तदनुरूप तैयारी करता रहे। लोकतंत्र में सर्वमान्य नीतियों का निर्माण बहुधा कठिन हो जाता है। फिर भी जब राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में होती है तो सब मतभेद भुला दिए जाते हैं, उसी प्रकार भविष्य की पीढ़ी को सुचारु रूप से तैयार करने में भी राष्ट्रीय योजनाएं सभी की सहमति...
More »दिल्ली में प्रदूषण 999 के पार, लोगोें को घरों में रहने की सलाह
नयी दिल्ली : दिल्ली खतरनाक प्रदूषण स्तर के चलते एक ‘‘आपात स्थिति' का सामना कर रही है. केंद्र ने किसानों द्वारा खूंटी जलाने पर अंकुश के लिए सभी पडोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की सोमवार को एक बैठक बुलाई है जिसने दिल्ली को एक ‘‘गैस चैंबर' बना दिया है. प्रदूषण मांपने का मीटर भी दिल्ली में फेल हो गया. प्रदूषण 999 के पार हो गया . मौसम...
More »जीडीपी बनाम भूख सूचकांक-- धर्मेन्द्रपाल सिंह
ताजा विश्व भूख सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) के अनुसार भारत की स्थिति अपने पड़ोसी मुल्क नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन से बदतर है। यह सूचकांक हर साल अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआइ) जारी करता है, जिससे दुनिया के विभिन्न देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति का अंदाजा लगता है। आज केवल इक्कीस देशों में हालात हमसे बुरे हैं। विकासशील देशों की बात जाने दें, हमारे देश...
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