कार्बनकॉपी, 5 जनवरी उत्तराखंड के जोशीमठ में पिछले कुछ दिनों में इमारतों और सडकों में दरारें आईं हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर हटाने का काम जारी है। इसी बीच बुधवार की शाम आक्रोशित लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। जोशीमठ के लोग डरे हुए हैं क्योंकि यह एक अत्यधिक भूकंपीय क्षेत्र है जो सेस्मिक ज़ोन 5 में आता है। सवाल यह उठ रहे हैं कि जोशीमठ जैसे संवेदनशील हिमालयी भूभाग...
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ग्रामीण महिला किसानों को सशक्त बनाने वाला एक मॉडल जो उन्हीं से मज़बूत बनता है
इंडिया डेवलपमेंट रिव्यू, 23 नवम्बर 1993 के लातूर भूकम्प के बाद एक पायलट परियोजना के तहत एक हजार से अधिक महिलाओं ने पुनर्वास कार्यों के लिए सरकार और अपने समुदायों के बीच सुविधाएं उपलब्ध करवाने वाले के रूप में अपनी भूमिका निभाई थी। इसके लगभग 30 साल बाद, सामुदायिक उद्देश्यों के लिए महिलाओं को संगठित करने वाले इस मॉडल ने भूकंप, सूनामी, चक्रवात, सूखा और हाल ही में महामारी के दौरान...
More »अधर में अटकी बिजली परियोजनाओं ने बदला झारखंड के चंदवा का भविष्य
मोंगाबे हिंदी, 14 नवम्बर झारखंड की राजधानी रांची से करीब 70 किलोमीटर दूर चंदवा कस्बे में प्रवेश करने से पहले एक गेट है। इस पर लिखा है – औद्योगिक नगरी चंदवा में आपका स्वागत है। लेकिन कस्बे के अंदर घुसते ही चारों तरफ हताशा और निराशा दिखाई देती है। एक वक्त था जब यहां दो पावर प्लांट (ताप विद्युत घर) का निर्माण तेजी से हो रहा था। तब ऐसा लगता था...
More »उत्तराखंड: कार्बेट रिज़र्व में टाइगर सफारी के लिए अवैध तौर पर छह हज़ार से अधिक पेड़ काटे गए
द वायर, 3 अक्टूबर उत्तराखंड सरकार की बहुप्रतीक्षित टाइगर सफारी परियोजना भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की एक रिपोर्ट के बाद सवालों के घेरे में आ गई है. द हिंदू के मुताबिक, एफएसआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआई) में 6,000 से अधिक पेड़ अवैध रूप से काट दिए गए, जबकि पाखरो टाइगर सफारी के लिए 163 पेड़ ही काटे जाने की अनुमति थी. राज्य के वन विभाग ने...
More »अफ्रीकी चीतों को भारत लाना एक उचित कदम नहीं: विशेषज्ञ
इण्डियास्पेंड, 20 सितम्बर भारत से अंतिम ज्ञात एशियाई चीतों के विलुप्त होने के 70 साल बाद मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाये गए आठ अफ्रीकी चीतों का स्वागत ज़ोर शोर से किया जा रहा है। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 सितंबर को उनके जन्मदिन पर शुरू की गई, जिसे चीतों के साथ-साथ उनके प्राकृतिक वास – घास के मैदानों के संरक्षण के लिए अपनी तरह की...
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