मोंगाबे हिंदी, 24 नवम्बर भले ही भोजन की हानि और बर्बादी को कम करके खाद्य सुरक्षा में सुधार लाया जा सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि इससे पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा। नेचर फूड में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से यह बात निकलकर सामने आई है। अध्ययन में कहा गया है कि बर्बादी और हानि को कम करने से भोजन की लागत में कमी आएगी, जिससे यह सस्ता और आसानी उपलब्ध...
More »SEARCH RESULT
सांभर झील संरक्षण: तीन महीने के भीतर कोर व बफर क्षेत्रों को परिभाषित करने का निर्देश
डाउन टू अर्थ, 20 नवम्बर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल बेंच ने नौ नवंबर 2023 को सांभर झील के संरक्षण के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं। सांभर झील को मार्च 1990 में रामसर स्थलों की सूची में शामिल किया जा चुका है। गौरतलब है कि रामसर स्थल वो आद्रभूमियां हैं, जिनका अंतर्राष्ट्रीय महत्व है। एनजीटी ने जो दिशानिर्देश जारी किए हैं उनके तहत राजस्थान पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य/प्रमुख सचिव को...
More »डीपीसीसी ने कहा निष्प्रभावी हैं स्मॉग टावर, दिल्ली कवर करने के लिए 40 हजार से अधिक टावर की जरूरत
डाउन टू अर्थ, 17 नवम्बर दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयोग के तौर पर लगाए गए स्मॉग टॉवर का कोई असर नहीं दिख रहा है। दिल्ली अब भी वायु प्रदूषण को कम करने के लिए मौसमी कारकों पर निर्भर है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि कनॉट प्लेस व आनंद विहार के पास संचालित स्मॉग...
More »यूरेनियम खदानों के पास रहने वाले लोगों ने कहा, प्रदूषण से उनकी सेहत और खेतों पर असर पड़ा
मोंगाबे हिंदी, 06 नवम्बर आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कडपा जिले के तुम्मलपल्ले और अन्य गांवों के पास यूरेनियम टेलिंग्स तालाब में यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) द्वारा खनन के संभावित प्रभावों के कारण, प्रभावित स्थानीय समुदाय पिछले एक दशक से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। टेलिंग का मतलब खनन प्रक्रियाओं के बाद बचे अपशिष्ट पदार्थ से है। यह खदान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के निर्वाचन क्षेत्र पुलिवेंदुला में...
More »खतरे में हिल स्टेशन: शिमला और मनाली की तबाही के लिए दोषी कौन?
डाउन टू अर्थ, 3 नवम्बर हिमालयी राज्यों में पर्यटन का केंद्र बने पहाड़ी शहरों में बढ़ रही आपदाओं की पड़ताल करती यह रिपोर्ट डाउन टू अर्थ, हिंदी पत्रिका की आवरण कथा की दूसरी कड़ी हैत्र इससे पहले की कड़ी में आपने पढ़ा: आवरण कथा, खतरे में हिल स्टेशन: क्या जोशीमठ के 'सबक' आ सकते हैं काम? माना जाता है कि शिमला शहर 18वीं शताब्दी में एक घना जंगल था। 1864...
More »