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सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर बने नई खनन नीति- राजेन्द्र अभ्यंकर

वेदांत, पोस्को और सिंधुदुर्ग। इन तीनों मामलों में मुद्दा एक ही है-खनन और संसाधन आधारित उद्योग के लिए एक सुविचारित नीति की आवश्यकता। पिछले दिनों सरकार ने उड़ीसा के पिछड़े कालाहांडी जिले में नियमगिरि पहाडिय़ों पर वेदांत को दी गई खनन की अनुमति वापस लेने का फैसला किया। उधर, उड़ीसा में पोस्को लौह अयस्क परियोजना पर गुप्ता समिति ने एक तरह से विभाजित फैसला दिया। इसके अलावा पश्चिमी घाट क्षेत्र...

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पुरखों की जमीन दी, बदले में क्‍या मिला.. !!

राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू और जयपाल सिंह मुण्डा आए थे और गांव वालों को समझा बुझा कर विकास के नाम पर जमीन ले लिया था. आज पचास सालों के बाद विस्थापितों के हालात भिखमंगों की तरह हो गई है. उन्ही विस्थापितों में से एक हैं लुसिया तिर्की जो मंदिरा डैम से उजाड़ दी गई. उनका कहना है कि जमीन का कागज अभी तक...

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बेरोजगारी

    एक नजर   सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगातार ऊंची बनी होने के बावजूद भारत अपनी ग्रामीण जनता की जरुरत के हिसाब से मुठ्ठी भर भी नये रोजगार का सृजन नहीं कर पाया है। नये रोजगारों का सृजन हो रहा है लेकिन यह अर्थव्यवस्था के ऊंचली पादान के सेवा-क्षेत्र मसलन वित्त-जगत, बीमा, सूचना-प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के दम पर चलने वाले हलकों में हो रहा है ना कि विनिर्माण और आधारभूत ढांचे के...

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वनाधिकार

साल २००६ के १३ दिसंबर को लोकसभा ने ध्वनि मत से अनुसूचित जाति एवम् अन्य परंपरागत वनवासी(वनाधिकार की मान्यता) विधेयक(२००५) को पारित किया। इसका उद्देश्य वनसंपदा और वनभूमि पर अनुसूचित जाति तथा अन्य परंपरागत वनवासियों को अधिकार देना है।  यह विधेयक साल २००५ में भी संसद में पेश किया गया था, फिर इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए जिसमें अनुसूचित जनजाति के साथ-साथ अन्य पंरपरागत वनवासी समुदायों को भी इस...

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