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बीमार व्यवस्था में पिसते गरीब-- सुभाष चंद्र कुशवाहा

आज शिक्षा और स्वास्थ्य के व्यावसायीकरण के चलते गरीबों का जीना दूभर होता जा रहा है। आए दिन महंगी शिक्षा का खर्च वहन न कर पाने के कारण गरीब छात्र व्यावसायिक शिक्षा से वंचित हो रहे हैं और हताशा में खुदकुशी कर रहे हैं। इसी तरह अस्पतालों का खर्च न उठा पाने के चलते गरीब असमय मरने को मजबूर हो रहे हैं। दुखद है कि आम लोगों को शिक्षा और...

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कॉमनवेल्थ खेल- दिल्ली से मजदूरों की बेदखली का आयोजन

जिस व्यक्ति, संस्था या विभाग ने तैयारियों में थोड़ा सा भी योगदान किया था कॉमनवेल्थ खेलों के उद्धाटन समारोह लंबे भाषणों में सबको याद किया गया। क्या किसी को इन भाषणों में उन हजारों मजदूरों के लिए भी आभार का एक शब्द सुनाई दिया जिनकी मेहनत से यह विश्वस्तरीय आयोजन संभव हो सका। शायद यह अनजाने में होने वाली भूल हो या फिर यह भी हो सकता है कि ऐसा करना जरुरी ना लगा हो। वैसे भी,...

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पलायन (माइग्रेशन)

खास बात • किसी प्रांत से उसी प्रांत में और किसी एक प्रांत से दूसरे प्रांत में पलायन करने वालों की संख्या पिछले एक दशक में ९ करोड़ ८० लाख तक जा पहुंची है। इसमें ६ करोड़ १० लाख लोगों ने ग्रामीण से ग्रामीण इलाकों में और ३ करोड़ ६० लाख लोगों ने गावों से शहरों की ओर पलायन किया। # • पिछले एक दशक को आधार मानकर अगर इस बात की गणना करें कि किसी वासस्थान को छोड़कर कितने लोग दूसरी जगह रहने...

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