मोंगाबे हिंदी, 29 अगस्त फूस से बनी अपनी झोपड़ी के पास बैठकर, अचिक्कन्नु मछली पकड़ने के टूटे हुए जाल से बने बाड़ पर रखे ताड़ के सूखे पत्ते (बोरासस फ्लेबेलिफ़र) की तरफ हाथ बढ़ाती हैं। वह पत्तियों को बराबर हिस्सों में काटती हैं। बार-बार बुखार से जूझने के बावजूद, वह ताड़ के सूखे पत्तों से 40 मिनट में एक नर्सरी बैग तैयार कर सकती हैं। तमिलनाडु के तंजावुर जिले के एक...
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भारत में सिर्फ नौनिहाल ही नहीं बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रहा है कुपोषण
डाउन टू अर्थ, 25 अगस्त भारत में कुपोषण सिर्फ बच्चों को ही नहीं बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रहा, जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन सकता है। इस बारे में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पापुलेशन साइंसेज से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के करीब 28 फीसदी पुरुषों और 25 फीसदी महिलाओं का वजन सामान्य से कम है। वहीं इसी आयु...
More »मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना कितनी जरूरी?
डाउन टू अर्थ, 23 अगस्त आज से ठीक एक साल पहले तक सरजू देवी के पास 10 गाय थीं। उनका पूरा परिवार दूध के काम में लगा था, लेकिन सितंबर 2022 लम्पी बीमारी की वजह से उनकी छह गाय मर गईं। वर्तमान में बची हुई चार में से दो गाय ही दूध देती हैं। वहीं, चारा इतना महंगा हो गया कि दूध बेचने के बाद भी गाय को पालना उनके लिए...
More »‘बेटी बचाओ’ के नारे के बीच 3 साल के भीतर गायब हुईं 13 लाख से ज्यादा महिलाएं और बच्चियां!
गाँव सवेरा, 31 जुलाई देश में 2019 से 2021 के बीच तीन साल के भीतर 13.13 लाख लड़कियां और महिलाएं लापता हुई हैं जिनमें से सबसे अधिक मध्यप्रदेश की हैं. लापता महिलाओं की संख्या के लिहाज से पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर है. वहीं केंद्र शासित राज्यों में दिल्ली जम्मू के बाद चंडीगढ़ में सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चियां लापता हुई हैं. चंडीगढ़ में 4590 बच्चियां और महिलाएं लापता हुई हैं. गृह...
More »‘दिन-रात मेहनत के बाद भी मेरी आमदनी न के बराबर है’
पारी, 20 जुलाई एक सामान्य आकार के पश्मीना शॉल के लिए सूत कातने में फ़हमीदा बानो को एक महीने लग जाते हैं. चांगथांगी बकरियों से मिलने वाले मुलायम और बारीक ऊन को अलग कर उनकी कताई करना कड़ी मेहनत और सफ़ाई का काम है. क़रीब 50 साल की ये कारीगर बताती हैं कि महीने भर की मेहनत के बदले में उन्हें बमुश्किल 1,000 रुपए मिलते हैं. “अगर मैं लगातार काम करूं,...
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