रोज़ी रोटी अधिकार अभियान गर्भवती महिलाओं व उनके शिशुओं के लिए न्याय माँगता है. चार साल से अधिक समय से भारत की सब महिलाएं (केवल औपचारिक क्षेत्र में काम कर रही महिलाओं को छोड़कर) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के अनुसार कम से कम 6,000 रुपये के मातृत्व भत्ते की हकदार हैं. सरकार महिलाओं का यह अधिकार देने में पूर्ण रूप से असफल रहा है. कुपोषण व शिशु और मातृत्व मृत्यु...
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पर्याप्त सरकारी मदद के जरिये ही पहुंच सकती हैं सभी तक स्वास्थ्य सेवाएं
भारत के विशाल और विविध भू-भागों में रहने वाली आबादी तक समुचित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती रही है. इसमें बड़ी कमी सरकारों की रही है, जो अपने कुल बजट का महज एक फीसदी तक हिस्सा ही सार्वजनिक स्वास्थ्य मद में खर्च करती रही है. स्वास्थ्य क्षेत्र के समूच परिदृश्य समेत इससे संबंधित अन्य पहलुओं को इंगित कर रहा है आज का वर्षारंभ ... अनंत कुमार एसोसिएट प्रोफेसर,...
More »बीमार हुआ भरोसा, करना होगा 'उपचार" - डॉ सचिन चित्तावर
हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम ऐसे देश में रह रहे हैं, जहां हमें बहुत ही सस्ता, मगर गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध है। दुनिया के विकसित देशों में भी इतनी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। भारतीय चिकित्सकों की गुणवत्ता और भरोसे के कारण ही दुनियाभर से मरीज भारत आकर इलाज कराना पसंद करते हैं। मगर कैसी हैरत की बात है कि भारत में ही डॉक्टरों पर सबसे...
More »छत्तीसगढ़- तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाएं, पर चुनौतियां हजार
प्रशांत गुप्ता, रायपुर। प्रदेश में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच चुनौतियां भी हर रास्ते पर खड़ी हैं। चुनौती है नक्सल प्रभावित, दूरस्थ अंचलों तक चिकित्सकों को पहुंचाने की, ताकि खाट पर मरीजों को लेकर कई किलोमीटर तक ग्रामीणों को पैदल न चलना पड़े। चुनौती है, कुपोषण को जंग में परास्त करने की। चुनौती है, मातृ और शिशु मृत्युदर को शून्य तक पहुंचने की। चुनौती है, हर बीमारी का इलाज...
More »कैसे रुके शिशु मृत्यु दर-- रमेश सर्राफ धमोरा
किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों और माताओं को देख कर लगाया जा सकता है। पर जिस समाज में हर साल तीन लाख बच्चे एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाते और करीब सवा लाख माताएं हर साल प्रसव के दौरान मर जाती हैं, उस समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब देश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, तब ऐसा...
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