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अपमान, तिरस्‍कार, डर… सुनहरे सपनों के बीच खत्‍म होती जिंदग‍ियां

इंडियास्पेंड, 01 मार्च "मुंबई में सैलून की दुकान पर काम कर किसी तरह बेटे राजा को पढ़ा रहा था। वह पढ़ने में अच्छा था तो सोचा था कि हमारी गरीबी खत्म करेगा। लेकिन ऊपर वाले को तो कुछ और ही मंजूर था। मुझे अब भी विश्वास नहीं होता कि मेरा बेटा आत्महत्या कर सकता है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था।" शाहजहांपुर जिले के कांट पश्‍च‍िमी पट्टी के रहने वाले 48 वर्षीय...

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मोदी सरकार द्वारा धीरे-धीरे मनरेगा का गला घोंटने का काम किया जा रहा है

द वायर, 26 फरवरी  केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के आवंटन में सबसे भारी कटौती मौजूदा बजट में की गई है. इस मद में सिर्फ 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो कि अब तक की सबसे कम राशि है. इसके अलावा मनरेगा के तहत ऐप आधारित हाजिरी दर्ज करने की प्रणाली – नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग...

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बंधुआ मजदूरों की संख्या और पुनर्वास के आंकड़ों में राज्य सरकारों की हेराफेरी

न्यूजलौंड्री, 10 फरवरी साल 2019-20 में आठ राज्यों में बंधुआ मज़दूरी का कोई मामला सामने नहीं आया है. यह जानकारी भारत सरकार ने राज्य सभा में दी है. दो फरवरी को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने बंधुआ मजदूरों को लेकर सवाल किया था. बिनॉय ने साल 2019 से देश के अलग-अलग राज्यों में मुक्त कराए गए और पुनर्वासित किए गए बंधुआ मजदूरों के आंकड़े मांगे थे,...

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सर्द रातों में सिंचाई की समस्या का समाधान बनती सौर बिजली

 मोंगाबे हिंदी, 07 जनवरी राजस्थान के गंगानगर जिले में लुढ़कता पारा नए रिकॉर्ड बना रहा है। हालात ऐसे हैं कि लोग गर्म रजाई में भी ठिठुर रहे हैं। ऐसे वक्त में मोहनपुरा गांव के 50 वर्षीय किसान सतवीर सिंह को सर्दे रात अपने गेहूं के खेत में पानी देने के लिए जाना पड़ा। उनके मुताबिक इसकी वजह बिजली आपूर्ति है जो खेती के कामों के लिए अक्सर रात में आती है। सिंह...

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ग्राउंड रिपोर्ट, सरकारी राशन का सच: राशन कार्ड है पर फिर भी नहीं मिल रहा पूरा राशन

डाउन टू अर्थ, 3 जनवरी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत एक निश्चित आबादी को खाद्य सुरक्षा का अधिकार दिया गया है, लेकिन यह अधिकार क्या वाकई हकदार तक पहुंच रहा है। डाउन टू अर्थ की इस खास सीरीज में यही जानने की कोशिश की जा रही है। अब तक आप जमीनी सच्चाई कहती चार कड़ियां पढ़ चुके हैं। पहली कड़ी - ग्राउंड रिपोर्ट, सरकारी राशन का सच: सात साल से...

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