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अपशिष्ट जल का दोबारा उपयोग: भारत में जल संकट से निपटने का एक स्थायी रास्ता

द थर्ड पोल, 20 जुलाई यमुना नदी के पुनरुद्धार को लेकर, एक उच्च-स्तरीय समिति की, 21 अप्रैल को हुई बैठक के दौरान, दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने राजधानी के अपशिष्ट जल या सीवेज के ट्रीटमेंट यानी शोधन में तेजी लाने की अपील की थी। बतौर उपराज्यपाल, जिससे वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के संवैधानिक प्रमुख हैं, सक्सेना ने बताया कि किस तरह से राजधानी में, इस समय हर दिन 290.7 करोड़...

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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे बताता है कि गुजरात के बच्चों में कुपोषण का स्तर चिंताजनक है

द वायर, 28 जून गुजरात पर 2022 में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के निष्कर्षों से पता चला कि राज्य में पांच साल से कम उम्र के 9.7 प्रतिशत से अधिक बच्चे कम वजन के थे. सरकार ने पोषण अभियान, मातृत्व सहयोग योजना, एकीकृत बाल विकास सेवाएं, मिड-डे मील योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, राष्ट्रीय पोषण मिशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय पोषण जैसी योजनाओं के साथ सरकार ने देश...

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राजस्थान की अवांछित बेटियां: लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या

रूरल वॉयस, 22 मई भारत में कपास के उत्पादन में हाल के वर्षों के दौरान गिरावट आई है। यह गिरावट वर्ष 2015 से लगातार है। इस दौरान उत्पादन सालाना 400 लाख गांठ से घटकर 310 लाख गांठ रह गया है। कीटों का प्रभाव नए सिरे से बढ़ने और विपरीत जलवायु परिस्थितियों के कारण यील्ड नहीं बढ़ रही है। विश्व औसत कपास उत्पादकता 768 किलो प्रति हेक्टेयर है, जबकि भारत का राष्ट्रीय...

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नेफेड ने खरीदा 19.47 लाख टन चना, दालों की कीमतें नियंत्रित रखने में कितनी कारगर रहेगी यह रणनीति

रूरल वॉयस, 16 मई  केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) प्राइस सपोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत आक्रामक तरीके से चना की सरकारी खरीद कर रहा है। चालू रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में अब तक 19.47 लाख टन से ज्यादा चना की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जा चुकी है। पिछले रबी मार्केटिंग सीजन में करीब 26 लाख टन चना की खरीद नेफेड ने...

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एनएमएमएस ऐप और आधार-आधारित भुगतान प्रणाली से मनरेगा श्रमिकों के भुगतान में देरी: रिपोर्ट

द वायर, 14 मई  किसी देश को डिजिटल रूप से बदलने की इच्छा के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है. हालांकि, भारत में ऐसा होता प्रतीत नहीं हो रहा है, विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में, क्योंकि कई मनरेगा श्रमिकों ने अपनी मासिक मजदूरी मिलने में देरी होने की सूचना दी है. जहां केंद्र सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था पर जोर दे रही है, वहीं पर्याप्त बैंकिंग बुनियादी ढांचे की कमी और...

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