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गांव प्रयोगशाला नहीं, हमारी सांस्कृतिक जड़ हैं

पटना निवासी बाबुल प्रसाद ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए सतत कार्य करते रहे हैं. बाबुल ने आइआइबीएम पटना से मार्केटिंग में एमबीए की शिक्षा ग्रहण की. इन्होंने ‘यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन’ ‘सिएटल’ से एक साल का फैलोशिप भी किया हुआ है. बाबुल प्रसाद ‘पॉपुलेशन एसोसिएशन ऑफ अमेरिका’ के स्थायी सदस्य और पटना विश्वविद्यालय के ‘रूरल मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’ के गेस्ट फैकल्टी भी हैं. वर्तमान में इनका संगठन बिहार- झारखंड के कई जिलों...

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विकास मॉडलों के शोर में गुम मजदूर- रौशन किशोर/जीको दासगु्प्ता

चुनावी बहस-मुबाहिसों में विकास की चर्चा तो खूब है, लेकिन इस विकास का आधार और देश की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा मजदूर कहीं प्रमुख मुद्दा नहीं है. घोषणापत्रों में श्रमिकों के मसलों को शामिल तो किया गया है, लेकिन उनके लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है. देश में मजदूर वर्ग निरंतर शोषण और दमन का शिकार बनता रहा है. ‘मई दिवस’ के मौके पर मजदूरों से जुड़े मसलों को रेखांकित...

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मीडिया चालित समाज में लोकतंत्र- विपुल मुद्गल

हमने चर्चित कारपोरेट पीआर बॉस नीरा राडिया, मीडिया की नामवर हस्तियों और राजनीति के दिग्गजों की टेलीफोन की बातचीत के लीक हुए टेपों में जो कुछ सुना है वह एक मीडिया-चालित(मीडिया-आइज्ड) राजनीति की सटीक तस्वीर पेश करता है। इस प्रकरण से पता चलता है कि किस तरह से पेशेवर संवादकर्मी (प्रोफेशनल कम्युनिकेटर्स) महत्वपूर्ण नीतियों के मामलों में जनता की समझ को गढते या परिचालित करते हैं। निसंदेह...

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मुखिया संवार रहे हैं गांव-पंचायत की सूरत

सरकार द्वारा पंचायतों को हस्तांतरित अधिकार का भरपूर उपयोग जामाताड़ा जिले के पंचायत प्रतिनिधियों ने किया. जब से सरकार ने शिक्षा, कल्याण, स्वास्थ्य, आपूर्ति, मनरेगा योजना का संचालन सहित अन्य कार्यक्रमों के अनुश्रवण का जिम्मा पंचायतों को दिया है, तब से इन प्रतिनिधियों में काम करने का एक अलग उत्साह देखा जा रहा है. प्रतिनिधि सरकार की सभी कल्याणकारी एवं महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद लोगों को दिलाने के...

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जरूरत रोजगार के अवसर बढ़ाने की- नयन चंदा

अपने देश के 80 करोड़ गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा मुहैया करवाने की शुरुआत भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस प्रकार की सामाजिक सुरक्षा   वाली लोक कल्याणकारी योजना शुरू करना नैतिक रूप से सराहनीय है, लेकिन आर्थिक नजरिए से यह समस्या पैदा करने वाली भी है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के लिए शुरू की गई  ऐसी योजना को  निरंतर बनाए रखने और उसके लिए पैसा जुटाने के लिए ...

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