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लुटता हिमालय: एक साथ कई चुनौतियों ने बढ़ाई मुश्किलें

डाउन टू अर्थ, 18 फरवरी  शहरीकरण भले ही विकास का एक पैमाना हो, लेकिन इसने हिमालय क्षेत्र को त्रासदी के मुहाने तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) की 2019 में प्रकाशित रिपोर्ट “द हिंदूकुश हिमालय असेसमेंट : माउंटेंस, क्लाइमेट चेंज, सस्टेनेबििलटी एंड द पीपल” के अनुसार, हिंदू कुश हिमालय (एचकेएच) क्षेत्र की सबसे बड़ी आबादी भारत में रहती है। एचकेएच आठ देशों (अफगानिस्तान,...

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जलवायु में आते बदलावों से बढ़ सकता है हैजे का प्रकोप, डब्लूएचओ ने किया आगाह

डाउन टू अर्थ, 20 दिसंबर  विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि जलवायु में आते बदलावों के चलते दुनिया भर में हैजे का प्रकोप बढ़ सकता है। एजेंसी का कहना है कि इस साल पिछले वर्षों की तुलना में कहीं ज्यादा प्रकोप सामने आए हैं, जो पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा घातक थे। इस बारे में प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि इस साल करीब 30 देशों में हैजे के...

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अब तक 268.80 लाख हेक्टेयर में बोई गईं रबी की फसलें, गेहूं-सरसों का रकबा सबसे अधिक

कृषि जागरण, 19 नवम्बर रबी सीजन 2022 के पहले 45 दिनों में रबी फसलों का बुवाई क्षेत्र में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. बुवाई के संबंध में ये रकबा पिछले सीजन की इस अवधि तक कई अधिक है. हालांकि किसानों को बीज, खाद की समय पर उपलब्धता और फसलों के अनुकूल को मौसम इस फसल सीजन में गेहूं, सरसों और चना के वास्तविक उत्पादन का निर्धारण करेंगे. 18 नवंबर तक जारी...

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केवल रोजगार के आंकड़े काफी नहीं, रोजगार में गुणपूर्णता जरूरी!

बेहतर आर्थिक वृद्धि मौजूदा दौर के हर ‘राष्ट्र राज्य’ की पहली प्राथमिकता है। और इस प्राथमिकता को हासिल करने के लिए जरूरी है अर्थव्यवस्था का पहिया तेज गति से घूमे। पहिए की गति उत्पादन (प्रोडक्शन) पर निर्भर करती है। जितना अधिक उत्पादन होगा उतने ही अधिक गति से पहिया दौड़ेगा। उत्पादन मुख्यत दो कारकों पर टिका रहता है–पहला पूंजी और दूसरा मजदूर। लेकिन मशीनें आ जाने के बाद उत्पादन के मामले में...

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पहली बार गर्भ में पल रहे बच्चे के जिगर, फेफड़े और मस्तिष्क में पाए गए वायु प्रदूषण के कण

डाउन टू अर्थ, 13 वैज्ञानिकों को पहली बार गर्भ में पल रहे भ्रूण के जिगर, फेफड़े और मस्तिष्क में वायु प्रदूषण के कण मिले हैं जो इस बात का सबूत हैं कि मां द्वारा सांस में लिए गए कालिख के नैनोकण प्लेसेंटा को पार कर गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इस बात से ही वातावरण में घुलते इस जहर की गंभीरता का अंदाजा लगाया...

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