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स्कूल में नहीं कोई टीचर, फिर भी रोज आते हैं 81 बच्चे

बलराम शर्मा, होशंगाबाद। स्कूल चलें हम अभियान के तहत शासन और प्रशासन बच्चों को स्कूल जाने के लिए तो प्रेरित कर रहा है, लेकिन स्कूलों में अभी तक शिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था वह नहीं कर सका है। जिला मुख्यालय पर एक हाईस्कूल ऐसा भी है, जहां वर्तमान में एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं हैं। बिना शिक्षकों के इस हाईस्कूल में एक-दो नहीं पूरे 81 बच्चे दर्ज हैं। पढ़ने के लिए...

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मप्र में शैक्षणिक ट्रिब्यूनल नहीं बने

ग्वालियर। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 2 साल बाद भी प्रदेश में स्कूली शिक्षा और शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण के लिए आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल स्थापित नहीं किए जाने पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने शहर के सनातन धर्म मंडल शिक्षा समिति ग्वालियर द्वारा एक विधवा शिक्षिका को बिना किसी कारण के अचानक नौकरी से हटा दिए जाने का मुकदमा उस तक पहुंचने पर इस मामले में संज्ञान...

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रंग लाए पर्यावरण बचाने के लिए किए गए एकल प्रयास

रतलाम। प्रकृति से छेड़खानी के परिणाम लगातार लोगों को भुगतने पड़ रहे हैं। कम हो रहे वन क्षेत्र और पेड़-पौधों की सुरक्षा पर समुचित ध्यान नहीं देने से मौसम चक्र गड़बड़ा गया है। ठंड और गर्मी में बारिश के साथ ओले गिर रहे हैं। इस मामले में कुछ सजग प्रहरियों के एकल प्रयास देखने में आए हैं। उनके प्रयास रंग भी लाने लगे हैं। आज 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस...

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बाल नहीं गूंथे, तो शिक्षक ने जबरन काट डाले बाल

पटना:  डीएवी बोर्ड कॉलोनी स्कूल में एक छात्र बाल गूंथ कर नहीं पहुंची, तो शिक्षिका ने उसके बाल ही काट डाले. यही नहीं जबरन बोर्ड कॉलोनी मैदान का तीन चक्कर भी लगवाया. पीड़ित छात्र काफी अनुनय-विनय करती रही, लेकिन शिक्षिका ने उसकी नहीं सुनी. उल्टे एक संगीत शिक्षक ने तो लड़कियों पर लड़कों को रिझाने का ताना कसते हुए कमेंट किये. शाम को छात्र के घर लौटने पर अभिभावकों को इसकी...

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मां-बाप परदेस में,बच्चे स्कूल में- पुष्यमित्र

लगभग दस साल की पिंकी पिछले कुछ सालों तक हर साल अपने माता-पिता के साथ कोलकाता के उपनगर में स्थित एक ईंट-भट्ठे में चली जाती थी. साल के सात से आठ महीने का वक्त वहीं गुजरता था. वहां उसके माता-पिता जहां सुबह से देर शाम तक मजदूरी करते थे, उसका काम अपने दूसरे भाई-बहनों की देख-भाल करना. खाना पकाना और घर संभालना था. जरूरत पड़ने पर उसे ईंट ढोने के लिए...

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