विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...
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बाढ़ से दो-दो हाथ करेंगी बहू-बेटियां
खगड़िया [निर्भय]। बाढ़ रूपी आपदा से अब नहीं होगी जानमाल की अपूर्णीय क्षति। कारण यह कि फरकिया अर्थात खगड़िया की बहू-बेटियों ने इससे दो-दो हाथ करने के लिए कमर कस ली है। यहां की 30 महिलाएं बाढ़ में बचाव को लेकर बूढ़वा घाट के समीप 'हिलकोर' मारती बागमती में एक जुलाई से ट्रेनिंग ले रही हैं। इन्हें न केवल बाढ़ के डूबते हुए लोगों को बचाने की, बल्कि सांप...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »कुत्ते ने काटा? सुल्तान चाचा के पास है इलाज
बालेश्वर, जागरण संवाददाता : आज वह विज्ञान के लिए चुनौती बन चुका है। उम्र 95 साल से ज्यादा। इस वृद्ध के मिट्टी के टूटे-फूटे घर के आगे सूर्योदय के साथ ही आज भी लोगों की लंबी कतार लग जाती है। ये हैं सुल्तान मुहम्मद। कुत्ते काटने और जहर निकालने के उपचार में माहिर। दूर-दराज से लोग इनके यहां कुत्ते काटने का इलाज के लिए आते हैं। लोगों के दावे के अनुसार पिछले 80 साल...
More »सवाल सेहत का
खास बात • सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। *** • अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।*** • तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। *** • सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग...
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