-द प्रिंट, मजदूरों के संकट में हस्तक्षेप करने से मना करने के कई हफ्तों बाद सुप्रीम कोर्ट ने ‘देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों’ का स्वत: संज्ञान लिया. जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एम आर शाह की खंडपीठ ने मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लिया, जिसमें प्रवासी मजदूरों के पैदल चलने और सैकड़ों किलोमीटर साइलकिल चलाकर घर वापस जाने को दिखाया गया था. कोर्ट ने यह...
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“नोटबंदी में जुड़वा बच्चे खत्म हो गए हम आस लगाए हैं इस बंदी में हमारा यह बच्चा बच जाए"
-न्यूजक्लिक, "हमारे चार बच्चे खत्म हो चुके हैं। नोटबंदी में जुड़वा बच्चे खत्म हो गए। हम आस लगाए हैं इस बंदी में हमारा यह बच्चा बच जाए" ये शब्द कामगार श्यामजी उपाध्याय के हैं। श्यामजी इलाहाबाद से तीस किलोमीटर दूर फूलपुर में इलेक्ट्रिशन का काम करते हैं। लॉकडाउन में दो महीने से काम बंद है, श्याम जी के पास न खाने के पैसे हैं न ही कमरे का किराया देने के लिए।...
More »बिहार: श्रमिक ट्रेन से उतर ट्रक में चढ़े थे मज़दूर, ट्रक की बस से टक्कर में नौ लोगों की मौत
-द वायर, कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर देशभर में हुए लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर लगातार सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं. ताजा मामला बिहार के भागलपुर जिले का है. भागलपुर जिले के नवगछिया कस्बे में मंगलवार सुबह एक ट्रक की बस से टक्कर हो गई, जिसमें नौ प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ट्रक में 15 प्रवासी मजदूर थे, जो बेंगलुरु से आ...
More »‘अब श्रमिक स्पेशल ट्रेन का और इंतज़ार नहीं होता, सफ़र की तारीख नहीं मिली तो पैदल ही चल देंगे’
-द वायर, विभिन्न राज्यों में फंसे हुए मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई हैं, लेकिन इस सफर के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने में प्रवासी श्रमिकों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. हाल यह है कि रजिस्ट्रेशन करने के दस दिन बाद भी उनकी यात्रा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है. यही कारण है कि प्रवासी श्रमिक ट्रेन में बारी आने का इंतजार...
More »मजदूरों का दर्द: 'किस भरोसे से गाँव वापस जाएं, दो महीने बाद खाली हाथ घर लौटने की हिम्मत नहीं बची है'
-गांव कनेक्शन, "किस भरोसे से गाँव वापस जाएं ? दो महीने बाद खाली हाथ घर लौटकर घर जाने की हिम्मत नहीं बची है। गाँव में कोई रोजगार नहीं है कि जाते ही काम मिल जाएगा। वहां करेंगे भी क्या जाकर ? यहां कम से कम ये तो उम्मीद है कि लॉकडाउन खुलने के बाद हो सकता है कुछ काम ही मिल जाए।" पुताई करने वाले राकेश कुमार (43 वर्ष) के इन शब्दों...
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