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इस साल 80,000 करोड़ रुपये का दीर्घावधि ऋण देगा नाबार्ड

मुंबई : राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की चालू वित्त वर्ष में अपने दीर्घावधि ऋण या पुनर्वित्त पोर्टफोलियो को 80,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने की योजना है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए विकास वित्त संस्थान दीर्घावधि ऋण बढ़ाना चाहता है. वित्त वर्ष 2017-18 में नाबार्ड ने 65,000 करोड़ रुपये का दीर्घावधि का ऋण दिया था. मार्च, 2018 में समाप्त वित्त वर्ष में नाबार्ड ने 2,951 करोड़ रुपये का...

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CG : सिंचाई, पेयजल व रोजगार की बांट जोह रही जनता

मनोज गुप्ता, प्रेम नगर, सरगुजा । अविभाजित सरगुजा की हाई प्रोफाइल सीट प्रेमनगर में दिखाने और बताने के लिए कई विकास के काम हुए हैं, लेकिन कृषि, सिंचाई, पेजयल और रोजगार के मामले में यहां के लोगों को कुछ खास हासिल नहीं हुआ है। क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का अभाव, स्वास्थ्य एवं सड़क की समस्या अब भी बनी हुई है। आगामी चुनाव में ये मुद्दे जरूर उठेंगे। जिला मुख्यालय सूरजपुर जिले...

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किसानों को मिले आर्थिक आजादी-- अजीत रानाडे

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के किसान संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा आहूत 10,000 किसानों की एक मौन पदयात्रा ने बीते छह मार्च को नासिक से मुंबई की ओर प्रस्थान किया. उनकी मुख्य मांगें वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत किसानों को भूमि का स्थानांतरण, उनकी फसलों के लिए बेहतर कीमतें तथा ऋणमाफी पर केंद्रित हैं. जैसे-जैसे यह पदयात्रा मुंबई की ओर बढ़ी, इसमें पूरे महाराष्ट्र से दूसरे किसान भी...

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त्रिपुरा : 'माणिक' के बदले 'हीरा'--- रविभूषण

विश्व के किसी भी नेता की तुलना में नरेंद्र मोदी शब्दाडंबर, शब्दजाल, शब्द चातुर्य और श्लेष-प्रयोग में अकेले और अनोखे हैं. शब्द क्रीड़ा उन्हें प्रिय है और उनकी वाक्पटुता और शब्दाभिप्राय को बदलने की क्षमता-दक्षता का अन्य कोई उदाहरण नहीं है. 'माणिक' और 'हीरा' दोनों नवरत्न हैं, पर त्रिपुरा विधानसभा की चुनाव-रैली में उन्होंने त्रिपुरा राज्य को 'माणिक' के स्थान पर 'हीरा' की आवश्यकता बतायी. उनके अनुसार, त्रिपुरा की जनता...

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पॉली हाउस में खेती से कमा रहे 30 लाख रुपए सालाना

राजगढ़। नरसिंहगढ़ तहसील के 3.200 हेक्टर कृषि भूमि मालिक लसूडल्या रामनाथ का प्रहलाद शर्मा पहले परंपरागत खेती से सोयाबीन, चना एवं गेहूं आदि की खेती कर दो से ढाई लाख रुपए वार्षिक आमदनी तक पहुंच पाता था। सिंचाई की सुविधा नहीं होने से साथ ही मौसम की अनियमितता से कई बार घाटा भी सहना पड़ता था। लेकिन वर्ष 2014 से एनएचबी द्वारा पॉली हाउस में खेती कर सालाना आमदनी 30...

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