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बिहार: कमाने के लिए पंजाब गए कामगार सिख धर्म क्यों अपना रहे हैं

-द वायर, बिहार के अररिया जिले में इस साल अक्टूबर के पहले हफ्ते तक काफी तेज बारिश हुई थी. बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि पता नहीं पहले ऐसा कब हुआ था. इसके चलते कई इलाके में बाढ़ आ गया. इसके निशान एक महीने बाद भी जगह-जगह दिखते हैं. निचले इलाको के खेतों और गड्ढों में अब भी पानी है. इन इलाकों से गुजरने पर कई बच्चे जलजमाव से हिस्से में मछली निकालते हुए...

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अस्तित्व की लड़ाई

- आउटलुक, “नए कानूनों से किसानों को खेती पर भी कॉरपोरेट के हावी होने का अंदेशा” अच्छे दिनां ने पंजाब दी किसानी डोब ती... (अच्छे दिनों ने पंजाब की किसानी डुबा दी) पंजाबी गायक मनमोहन वारिस का यह गाना इन दिनों प्रदेश के किसान आंदोलन में खूब बज रहा है। ये किसान खेतों में तैयार खड़ी फसलों की चिंता छोड़ रेल पटरियों पर तंबू लगाकर पड़े हैं। उन्हें फसलों के नष्ट होने...

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एनडीए से हटने के बाद अकाली दल अध्यक्ष का दावा, “सीएए और 370 पर बीजेपी का किया था विरोध”

-कारवां, केंद्र सरकार द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानून पारित किए जाने के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से शिरोमणि अकाली दल बाहर हो गई है. अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने 26 सितंबर को घोषणा की कि वह पंजाब और सिख मामलों में बीजेपी द्वारा निरंतर दिखाई जा रही संवेदनहीनता के चलते गठबंधन तोड़ रहे हैं. बादल ने एनडीए के कामकाज के तरीके पर भी सवाल उठाए और क्षेत्रीय साझेदारों को...

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किसानों के विरोध के बीच लोकसभा से पास कृषि बिल, राष्ट्रपति ने मंजूर किया हरसिमरत कौर का इस्तीफा

-आउटलुक, लोकसभा ने गुरुवार को विपक्ष और सत्ताधारी एनडीए के एक घटक शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के विरोध के बीच कृषि क्षेत्र से संबंधित दो विधेयक पारित किए। मोदी सरकार को झटका देते हुए तीन कृषि क्षेत्रों के बिल में एसएडी की सदस्य हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। लोकसभा द्वारा बिल पारित किए जाने से मुश्किल से एक घंटे पहले हरसिमरत कौर ने ट्वीट किया, ‘मैंने किसान...

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स्वामी अग्निवेश: आधुनिक आध्यात्मिकता का खोजी

-द वायर, 81 साल पूरे होने में कुछ रोज़ रह गए थे कि स्वामी अग्निवेश ने इस संसार से विदा ली. वे गृहस्थ नहीं थे, लेकिन संसार से उनका नाता प्रगाढ़ था. वे विरक्त कतई नहीं थे. राग हर अर्थ में उनके व्यक्तित्व को परिभाषित करता था. प्रेम, घृणा और क्रोध, ये तीनों ही भाव उनमें प्रचुरता से थे. इसलिए वे उन धार्मिकों की आख़िरी याद थे जिन्होंने धर्म के प्रति आस्था...

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