डाउन टू अर्थ, 21 जून कश्मीर घाटी में मौजूद झीलें पिछले कुछ वर्षों में तेजी से सिकुड़ रहीं हैं। साथ ही इन झीलों में मौजूद पानी की गुणवत्ता भी तेजी से गिर रही है। यह जानकारी नासा अर्थ ऑब्जर्वेटरी द्वारा साझा की गई रिपोर्ट में सामने आई है। इन झीलों में कश्मीर को दो बेहद प्रसिद्ध झीलें डल और वुलर शामिल हैं। यह झीलें हिमालय के ऊंचे पहाड़ों से घिरी हैं...
More »SEARCH RESULT
झरिया: कभी हरे भरे थे पहाड़, आज धधकती आग और सुनसान खदानों के साए में रह रहे हैं लोग
डाउन तू अर्थ, 9 जून एक बार फिर झारखंड का झरिया चर्चा में है। यहां खदान में चाल धंसने के कारण दो लोगों की मौत हो गई। आखिर झरिया क्यों लोगों की कब्रगाह बनता जा रहा है। इस रिपोर्ट से समझें- भारत के पूर्वी राज्य झारखंड का झरिया क्षेत्र कभी हरे-भरे पहाड़ों से घिरा था। कभी इस क्षेत्र में जिंदगी खुशहाल थी। लेकिन आज लोग यहां सुनसान खदानों और धधकती आगे के...
More »दिल्ली के कई इलाकों में अवैध रूप से चल रही हैं रंगाई फैक्ट्रियां
डाउन टू अर्थ, 24 मई सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर बिंदापुर, मटियाला, रणहोला, ख्याला, मीठापुर, बदरपुर, मुकुंदपुर और किरारी में अवैध रूप से चल रही रंगाई फैक्ट्रियों की जांच करेगी। इस मामले में आवेदक वरुण गुलाटी ने कोर्ट के समक्ष आवेदन दायर किया था। इसे ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से कहा है कि वरुण गुलाटी...
More »धरती के 40 प्रतिशत जंगलों के जलने व कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार हैं 88 बड़े उद्योग, जानें कैसे?
डाउन टू अर्थ, 24 मई एक शोध के मुताबिक, पिछले 40 सालों में पश्चिमी अमेरिका और दक्षिण-पश्चिमी कनाडा में जंगल की आग से जले हुए लगभग 40 प्रतिशत जंगली इलाकों के लिए दुनिया के 88 सबसे बड़े उद्योग जिम्मेवार है। इन उद्योगों को जीवाश्म ईंधन और सीमेंट निर्माण से जुड़े कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। शोध में कहा गया है कि, तेल और गैस कंपनियां जलवायु परिवर्तन...
More »जानलेवा प्रदूषण: पारंपरिक चूल्हों की तुलना में दो गुणा ज्यादा पीएम0.1 उत्पन्न करते हैं उन्नत कुकस्टोव
डाउन टू अर्थ 16 मई आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पारंपरिक चूल्हों की तुलना में उन्नत कुकस्टोव कहीं ज्यादा मात्रा में प्रदूषण के अत्यंत महीन कणों का उत्सर्जन करते हैं। देखा जाए तो इन उन्नत चूल्हों का विकासशील देशों में खाना पकाने के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। लेकिन हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ सरे ने अपने अध्ययन में इस बात की पुष्टि की है कि यह...
More »