जनसत्ता 12 मार्च, 2013: आखिर संघ लोक सेवा आयोग पर अंग्रेजी का झंडा फहर ही गया। 2013 में संघ की भारतीय प्रशासनिक और अन्य केंद्रीय सेवाओं में भर्ती के लिए सिविल सेवा परीक्षा के रूप में होने वाली संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा से भारतीय भाषाओं का परचा आखिर गायब हो गया। यों इसकी शुरुआत 2011 में ही प्रारंभिक परीक्षा (नया नाम: अभिक्षमता परीक्षण उर्फ एप्टिट्यूट टेस्ट) में कर दी...
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महिला सशक्तीकरण के वास्ते- केपी सिंह
जनसत्ता 8 मार्च, 2013: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तीकरण की बात करना फैशन नहीं, जरूरत है। इक्कीसवीं शताब्दी में भी महिलाएं संविधान-प्रदत्त मूलभूत अधिकारों को पाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। यह जद्दोजहद नई नहीं, सहस्राब्दियों पुरानी है। मानव-सभ्यता जब पृथ्वी पर पनपने लगी तो पुरुष ने अपनी शारीरिक सामर्थ्य का फायदा उठाते हुए पहला अधिकार स्त्री पर जताया था। महिलाओं के शोषण की कहानी वहीं से शुरू हो...
More »अब रबर स्टांप नहीं रहीं महिला जनप्रतिनिधि
बिहार में पंचायतों में 50 फीसदी आरक्षण के बाद विभित्र पदों पर महिलाएं जीत कर आयीं, तो यह कहा जा रहा था कि महिलाएं पंचायत नहीं चला सकती हैं. वह तो सिर्फ रबर स्टांप रहेंगी. काम तो उनके पति, बेटा, पिता, भाई या कोई पुरुष रिश्तेदार ही करेंगे, लेकिन महिला जनप्रतिनिधियों ने अपने हौसले नहीं खोये. पूर्व की महिला जनप्रप्रतिनिधि पुन: पंचायतों में चुन कर आने के बाद पांच सालों में सीखी गयी...
More »यूपी में नई चीनी मिलों की राह नहीं आसान
अवनीश त्यागी, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को राहत पहुंचाने के लिए तैयार नई चीनी नीति निवेशकों को लुभा पाएगी, इसे लेकर शंका जताई जा रही है। मिलों के लिए पेराई को पर्याप्त गन्ने की उपलब्धता और गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वहीं, गन्ना किसानों की सियासत के उलझाव भी परेशानी का सबब हैं। नई नीति के तहत 24 जिलों में चीनी मिलों के निर्माण के लिए खास...
More »समझदारी का मोतियाबिंद
जनसत्ता 4 फरवरी, 2013: गार्गा चटर्जी इस घड़ी आशीष नंदी होना आफत को गले लगाना है। तकनीक के इस ताबड़तोड़ दौर में जहां बोले गए शब्द ध्वनि की रफ्तार को पछाड़ रहे हों, उनका अर्थ पीछे छूटता जा रहा, तो यह देख कर जरा भी अचरज नहीं होता कि साहित्य के एक समारोह में आशीष नंदी के ‘जातिसूचक’ शब्दों को कुछ विवाद प्रेमी लोग लपक लें। असल में सांप्रदायिकता के छद्म विरोध...
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