जागरण ब्यूरो, भोपाल। इस बार मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं की बंपर खरीद कैसे हुई, यह अब धीरे-धीरे सामने आने लगा है। एक किसान के पास दस एकड़ से भी कम रकबा है पर उससे सरकार ने 800 क्िवटल गेहूं खरीद लिया। जाहिर है सरकारी मशीनरी की मिलीभगत से व्यापारी अपना काम निकालने में सफल हो गए। हरदा जिले का मामला यह बताने के लिए पर्याप्त है कि बंपर...
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बीज विधेयक को राज्यों पर थोपना ठीक नहीं
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि संविधान में कृषि राज्य का विषय है इसलिए चाहे वह जीएम फूड हो या बीज विधेयक का सवाल, राज्यों को विश्वास में लिए बगैर इन्हें उन पर थोपना नहीं ठीक नहीं होगा। यहां के मौर्या होटल में जैविक बिहार पर आज से शुरू तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उदघाटन करते हुए नीतीश ने कहा कि संविधान में कृषि...
More »काश! इन किसानों के लिए भी होते कोई प्रेमचंद
हाड़-तोड़ मेहनत कर उपजाई गई फसल को औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर -क्रय केंद्र के इंतजार में पथरा गई आंखें, विशेष परिस्थिति में दे दिया बिचौलिए को अजय रत्न, मुजफ्फरपुर : बोचहां प्रखंड के सनाठी गांव निवासी केदार सहनी व बिंदेश्वर राय को क्या मालूम था कि उन्हें अपनी सोने सी फसल बिचौलिए के हाथ औने-पौने दाम पर बेच देनी होगी। केदार को पत्नी की अचानक मौत व बिंदेश्वर को माता...
More »किसानों ने हुडा अफसरों को खदेड़ा
अम्बाला सिटी. कांवला गांव में रविवार को सेक्टर 22 के लिए एक्वायर जमीन का कब्जा लेने गए हुडा के अधिकारियों और कर्मचारियों को किसानों ने खदेड़ दिया। सेक्टर 22 के लिए इस गांव की 319 एकड़ जमीन एक्वायर की गई है। कार और तीन ट्रैक्टरों पर सवार हुडा कर्मचारियों ने जैसे ही खेतों में खड़े पशुओं के चारे व धान की पौध को उखाड़ना शुरू किया, किसान भड़क उठे। किसानों के...
More »इतिहास के आईने में किसान आंदोलन-- योगेंद्र यादव
इधर राहुल गांधी का भट्टा-परसौल में आना हुआ तो उधर चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जाना. पहली नजर में इन दोनों घटनाओं का आगे-पीछे होना विशुद्ध संयोग है. लेकिन जरा गौर से देखें तो इस संयोग में गहरे निहितार्थ छिपे दिखाई देते हैं. यहां किसान आंदोलन के भूत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ने वाले कुछ तार बिखरे पड़े हैं. राहुल गांधी का आना किसान आंदोलन की तात्कालिक विजय का प्रतीक...
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