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बीज विधेयक किसानों की हित-रक्षा में नाकाम

बीज विधेयक 2010 संसद के मौजूदा सत्र में बहस के बाद पारित किए जाने के लिए तैयार है। इस विधेयक का शुरुआती मसौदा किसानों के बजाय कृषि-व्यवसायियों के फायदे में होने के कारण विवादास्पद साबित हुआ था। पहले संसदीय स्थायी समिति और फिर सर्वदलीय बैठक में विचार-विमर्श के बावजूद कई किसान संगठनों, विपक्षी राजनीतिक दल तथा नागरिक संगठनों का मानना है कि यह विधेयक छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा में सफल नहीं...

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भूमि अधिग्रहण पर नए विधेयक का मसौदा तैयार

नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण मानदंडों को लेकर बढ़ते विवाद के बीच सरकार ने नए विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है। इसके तहत भूमि की खरीद से पहले 80 फीसदी भूस्वामियों की सहमति अनिवार्य कर दी गई है। भूमि अधिग्रहण विधेयक का नया मसौदा अगले कुछ दिनों में सामने रखे जाने की उम्मीद है। इसमें सोनिया गांधी नीत राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सिफारिशों को भी शामिल किया गया है...

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ग्रामीण विकास मंत्रालय में होगी रमेश की परीक्षा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : जयराम रमेश जैसे तेजतर्रार नेता को ग्रामीण विकास मंत्रालय सौंपकर सरकार ने एक साथ कई निशाने साधे हैं। अपने कई बयानों को लेकर विवादों में रहे रमेश को वन व पर्यावरण मंत्रालय से हटाकर यहां भेजा गया है। वन व पर्यावरण मंत्रालय से उन्हें विदा करने के जहां राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, वहीं आने वाले दिनों में मनरेगा व भूमि अधिग्रहण विधेयक उनकी कार्यक्षमता की...

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किसानों की ज़मीन की बजाय बंजर जमीन में बने आईएमटी

अम्बाला. इंडस्ट्रियल माडल टाउनशिप (आईएमटी) के मसले पर एक बार फिर केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा प्रदेश सरकार से ‘टकराने’ को तैयार हो गई हैं। गुरुवार को किसानों के समर्थन में आई सैलजा ने कहा कि वह उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण टालने के लिए सोनिया गांधी व राहुल गांधी के समक्ष भी मुद्दा उठाएंगी। अम्बाला सिटी में लघु सचिवालय में किसान 21 मई से ही क्रमिक अनशन पर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे...

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राजशक्ति बनाम बाबाशक्ति- योगेन्द्र यादव

बेताल ने विक्रमादित्य से पूछा,‘कल तक जो सरकार बाबा रामदेव के सामने बिछी जा रही थी, वही अचानक दल-बल सहित उनके आंदोलन पर चढ़ क्यों बैठी? अगर बाबा लोकशक्ति के प्रतीक हैं तो सरकार की हिम्मत कैसे हुई कि उनके अनशन को तोड़े? अगर बाबा झूठे हैं, तो सरकार उनसे इतनी डरी क्यों थी?’ इक्कीसवीं सदी के बेताल और विक्रमादित्य किसी पेड़ नहीं बल्कि एक बड़ी टीवी स्क्रीन के नीचे...

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