सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। मूल्य बढ़ने की आस में किसानों ने गेहूं बिक्री से हाथ पीछे खींचना शुरू कर दिया है। इस वजह से गेहूं उत्पादक राज्यों की मंडियों में आवक लड़खड़ा गई है। व्यापारियों की प्रतिस्पर्धा में सरकारी एजेंसियों की खरीद पर भी असर पड़ रहा है। देश की प्रमुख अनाज मंडियों में गेहूं की आवक घट गई है। यह गिरावट सरकार के लिए चिंता का सबब भी हो...
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गेहूं की सरकारी खरीद में 16 फीसदी की गिरावट
चालू रबी विपणन सीजन 2013-14 में गेहूं की सरकारी खरीद 16 फीसदी पिछड़कर 239.59 लाख टन की ही हो पाई है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में गेहूं की दैनिक आवक कम हो गई है। ऐसे में सरकारी खरीद 250 लाख टन के आस-पास सिमटने की संभावना है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई ) के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन 2013-14 में गेहूं की सरकारी खरीद अभी तक 239.59 लाख टन की ही हो...
More »अब तक गेहूं की सरकारी खरीद 194 लाख टन
चालू रबी विपणन सीजन 2013-14 में गेहूं की सरकारी खरीद 2.1 फीसदी बढ़कर 194 लाख टन की हो गई है। गेहूं की सरकारी खरीद की गति कुछ राज्यों में पहले की तुलना में धीमी हो गई है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान में खरीद पिछले साल से कम हुई है। अभी तक हुई कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश की है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के...
More »सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?
भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...
More »खाद्य सुरक्षा की शर्तें- रविशंकर
जनसत्ता 12 अप्रैल, 2013: हालांकि यूपीए सरकार की मंशा थी कि बजट सत्र में ही खाद्य सुरक्षा विधेयक को संसद से पास करा लिया जाए, पर ऐसा नहीं हो पाया। संसद की कार्यवाही बार-बार स्थगित होने से संशोधित विधेयक अब तक पेश नहीं हो सका है। अब इस विधेयक के बजट सत्र के अंतराल के बाद पेश होने की उम्मीद है। वास्तव में यह विधेयक यूपीए के 2009 के उस...
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