तमिलनाडु के एक पिछड़े ज़िले इरोड के ज़िलाधीश यानी कलेक्टर डॉ आर आनंदकुमार ने अपनी छह साल की बेटी को एक सरकारी स्कूल में भर्ती करवाया है. जब वे इस स्कूल में अपनी बच्ची के दाखिले के लिए पहुँचे तो दूसरे माँ-बाप की तरह कतार में खड़े हुए. दिल्ली के एक अख़बार में इस ख़बर का प्रकाशित होना ही साबित करता है कि यह कुछ असामान्य सी बात है. यक़ीनन ज़िलाधीश को उनके...
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असंतोष से सुधारों की ओर : डॉ महेश रंगाराजन
सिविल सोसायटी और यूपीए सरकार के बीच लोकपाल बिल पर चला आ रहा गतिरोध एक तरह से समाप्त हो गया है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी असहमतियों पर सहमत हैं। दोनों ही जल्द से जल्द लोकपाल चाहते हैं, लेकिन नई व्यवस्था बनाने की प्रक्रियाओं के बारे में वे एकमत नहीं हो सकते। हकीकत यह है कि दोनों ही पक्ष मानते हैं कि वे लड़ाई जीत चुके हैं। बाबा रामदेव ने अपने आंदोलन के...
More »मेहनतकश की मजदूरी का सवाल : हर्ष मंदर
‘खेतों और फैक्टरियों में काम करने वाले हर मजदूर और कामगार को कम से कम इतना अधिकार तो है ही कि वह इतनी मजदूरी पाए कि अपना जीवन सुख-सुविधा से बिता सके..।’ वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण दे रहे जवाहरलाल नेहरू ने यह बात कही थी। इसके नौ दशक बाद स्वतंत्र भारत की केंद्र सरकार ने कहा कि लोककार्य के लिए कानून द्वारा स्थापित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान...
More »राहुल का मिशन उत्तरप्रदेश : डॉ महेश रंगाराजन
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आने से एक दिन पहले राहुल गांधी तड़के ही भट्टा पारसौल पहुंच गए थे। उसी दिन उनकी गिरफ्तारी होने तक वे उन लोगों के बीच थे, जो एक तरफ पुलिस व सैन्य बल और दूसरी तरफ भूमि हस्तांतरण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों के बीच हो रहे संघर्ष में पिस रहे थे। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसमें कुछ भी...
More »इतिहास के आईने में किसान आंदोलन-- योगेंद्र यादव
इधर राहुल गांधी का भट्टा-परसौल में आना हुआ तो उधर चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जाना. पहली नजर में इन दोनों घटनाओं का आगे-पीछे होना विशुद्ध संयोग है. लेकिन जरा गौर से देखें तो इस संयोग में गहरे निहितार्थ छिपे दिखाई देते हैं. यहां किसान आंदोलन के भूत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ने वाले कुछ तार बिखरे पड़े हैं. राहुल गांधी का आना किसान आंदोलन की तात्कालिक विजय का प्रतीक...
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