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दुनिया में देश की साख पर बट्टा क्यों? - मेघनाद देसाई

एक ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'सबका साथ, सबका विकास" की भावना के साथ देश-विदेश में भारत की छवि को चमकाने और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने तथा उसमें सुधार की पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं, तब दूसरी ओर देश में राष्ट्रीय मीडिया के एक बड़े हिस्से और खासकर टीवी चैनलों और कुछ अखबारों में नकारात्मक खबरों को न केवल अत्यधिक महत्व दिया जा रहा...

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जलवायु संकट के सबक-- अरुण तिवारी

पिछले ग्यारह हजार तीन सौ सालों की तुलना में आज पृथ्वी सबसे गर्म है। उत्तरी ध्रुव के आर्कटिक सागर में इस बार 1970 के बाद सबसे कम बर्फ जमी है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव से बाहर दुनिया का सबसे बड़ा बर्फ भंडार, तिब्बत में ही है। इसी नाते तिब्बत को ‘दुनिया की छत' कहा जाता है। इस नाते आप तिब्बत को दुनिया का तीसरा ध्रुव भी कह सकते हैं। यह...

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22 लाख किसानों को देंगे मुफ्त बीज : मुख्यमंत्री रमन सिंह

रायपुर (ब्यूरो)। सूखे से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के सूखा प्रभावित 22 लाख किसानों को बड़ी राहत का ऐलान किया। उन्होंने किसानों को मुफ्त एक-एक क्विंटल बीज उपलब्ध कराने की घोषणा की। समारोह में मुख्य अतिथि बनकर आए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि सूखे को लेकर छत्तीसगढ़ के हालात पर मैंने...

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भारत की कहानी में बिहार कहां है?-- शंकर अय्यर

आज बिहार उम्मीदों और निराशा के दोराहे पर खड़ा है। पिछले कई दशकों से ‌अगर बिहार दुर्दशा झेल रहा है, तो इसकी वजह सिर्फ मंडल, कमंडल और जंगल राज नहीं है। इसकी असल वजह 'राजनीति' है, जिसमें 'राज' कुछ ज्यादा, तो 'नीति' जरूरत से काफी कम रही है। भारत में शासन को लेकर एक बेहद प्रचलित उक्ति है कि यहां वह सब कुछ जो गलत हो सकता है, वह लगातार...

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अति पिछड़ों की राजनीतिक भूमिका-- बद्री नारायण

बिहार में अब सिर्फ दलितों और पिछड़ों की राजनीति नहीं हो रही, इसकी राजनीति का नया रुझान महादलित और अति पिछड़ों से जुड़ा है। ये दो श्रेणियां बताती हैं कि जिन्हें हम दलित और पिछड़े वर्गों की तरह देखते हैं, उनका स्वरूप हर जगह एक सा नहीं है। इन वर्गों के भीतर भी गैर-बराबरी, ऊंच-नीच या भेदभाव है। इसके चलते संसाधनों का समान वितरण नहीं हो पाता। इनके भीतर भी ऐसी...

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