देश का 'अन्न का कटोरा' कहा जाने वाला पंजाब कई विरोधाभासों का सामना कर रहा है। जबसे हरित क्रांति की शुरुआत हुई, पंजाब ने साल दर साल रिकॉर्ड स्तर पर अतिरिक्त अनाज का उत्पादन किया, फिर भी यह वर्षों से किसान आत्महत्या के कारण कब्रगाह में तब्दील हो गया है। शायद ही कोई दिन ऐसा जाता होगा, जब पंजाब के अखबारों में किसान आत्महत्या की खबर न छपती हो। पंजाब राष्ट्रीय...
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राजस्थान के झुंझुनूं में रोटी बैंक शुुरू, रोजाना 100 जरूरतमंदों को खिलाएगा खाना
मनीष गोधा। अस्पताल में भर्ती मरीजों, उनक परिजनों और अन्य जरूरतमंद लोगों के लिए राजस्थान के झुंझुनूं में कुछ लोगों ने मिल कर रोटी बैंक शुरू किया है। यह राजस्थान में अपनी तरह का पहला बैंक जो हर रोज कम से कम 100 लोगों को खाना खिलाएगा। जो लोग इसमें सहायता देना चाहते है, उन्हें सिर्फ 40 प्रति थाली का भुगतान करना होगा। खाने की आपूर्ति के लिए झुझुनूं के...
More »आंगनबाड़ियों में नहीं मिल रहा दोपहर का भोजन, कागजों में चल रही योजनाएं
रवि श्रीवास्तव, राजगढ़। जिले में पोषाहार, स्नेह सरोकार, ममता अभियान सहित सांझा चूल्हा आदि योजनाओं के जरिए कुपोषण भगाने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। लेकिन कुपोषण बधाों का पीछा नहीं छोड़ रहा। महिला बाल विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में 2 हजार 820 बच्चे अतिकुपोषित एवं 26 हजार 35 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। दोनों श्रेणियों को मिला दें तो कुल 28 हजार 855 में से 15 हजार...
More »वनांचल के कई स्कूलों में ताला तो कहीं मध्याह्न भोजन के बाद छुट्टी
चिल्फीघाटी। प्रदेश भर में शिक्षाकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से पिछले 3 दिनों से वनांचल की शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। कहीं स्कूल बंद है तो कहीं समूह द्वारा मध्यान्ह भोजन कराकर छुट्टी कर दी जा रही है। लेकिन शिक्षाकर्मियों की हड़ताल से प्राथमिक स्कूल चिल्फी में अनोखा नजारा देखने को मिला। जहां पर प्राइवेट स्कूल के शिक्षक बच्चों को पढ़ाते नजर आए। ये शिक्षक सरस्वती शिशु मंदिर...
More »कुप्रबंधन की थाली में फिर से न परोसा जाए पोषाहार!-- आशीष व्यास
'ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट 2016" के अनुसार मध्यप्रदेश की स्थिति बच्चों के कुपोषण-भूख के मामलों में चिंताजनक है। श्योपुर में कुपोषण से 2016 में 55 बच्चों की मौत हुई थी। इस साल भी तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। माना जाता है कि प्रदेश में सिर्फ 23 प्रतिशत बच्चे ही आंगनवाड़ियों में दर्ज हैं और इन्हीं के जरिए बच्चों के लिए पोषाहार की व्यवस्था की जाती है। पांच वर्ष...
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