वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया कि केन्द्र सरकार राज्यों को किसानों के ऋण माफ करने के लिए वित्त उपलब्ध नहीं करायेगी। उन्होंने साफ कहा है कि जो राज्य किसान ऋण माफ करना चाहते हैं उन्हें इसके लिए स्वयं संसाधन जुटाने होंगे। जेटली ने सरकारी बैंक के प्रमुखों के साथ बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद संवाददाताओं से कहा कि जो राज्य किसान ऋण माफ करना चाहते हैं...
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रोजगार सृजन की चुनौती--- अरविन्द जयतिलक
देश की अर्थव्यवस्था भले ही कई देशों के मुकाबले दोगुनी वृद्धि कर रही हो लेकिन युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने के मामले में देश पिछड़ रहा है। हाल ही में आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन की ताजा रिपोर्ट ने बताया है कि देश में पंद्रह से उनतीस वर्ष के तीस प्रतिशत से अधिक युवाओं के पास रोजगार नहीं है। पिछले वर्ष श्रम मंत्रालय की इकाई श्रम ब्यूरो के रिपोर्ट...
More »शिक्षा का बाजारवाद-- रमेश दवे
शिक्षा को जब हम अपने अतीत से जोड़ते हैं तो संस्कार की ध्वनि सुनाई देती है, लेकिन जब अपने वर्तमान समय से जोड़ते हैं तो विकार और व्यापार के विज्ञापनों के धमाके सुनने को मिलते हैं। वैश्वीकरण, बाजारवाद और उत्तर-आधुनिकता के इस तरह-तरह की मृत्यु-घोषणा के समय में अगर इतिहास, साहित्य, साहित्यकार या लेखक की मृत्यु पश्चिमी चिंतक घोषित करते रहे हैं, तो क्या यह सच नहीं है कि हम...
More »शिक्षा की परीक्षा-- जगमोहन सिंह राजपूत
देश की शिक्षा व्यवस्था की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सरकारी शैक्षणिक संस्थानों की साख लगातार गिरती जा रही है। जिस प्रकार की घटनाएं सामने आ रही हैं वे बेहद चौंकाने वाली हैं। बिहार में 12वीं की परीक्षा में करीब 65 फीसदी विद्यार्थी फेल हो गये। क्यों फेल हो गए, क्योंकि वहां योग्य शिक्षकों का घोर अकाल हो गया है। संविदा शिक्षकों की...
More »अनदेखी से फूटा गुस्सा-- देविन्दर शर्मा
देश में जहां कहीं भी किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, उससे यह बात साफ हो जाती है कि आखिर कब तक किसान चुप रहेंगे और कब तक बर्दाश्त करते रहेंगे. यह एक बड़ी सच्चाई है कि पिछले 40-50 साल से किसानों के साथ अत्याचार यह हो रहा है कि एक डिजाइन के तहत उनको कमजोर करके रखा जा रहा है. बस, बीच-बीच में कभी-कभार उनकी मदद...
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