संतोष यादव, भिलाई। एक पौराणिक कहावत है, ग्रीष्म में जो सरोवर सदानीरा रहते हैं, उन सरोवरों के निर्माता स्वर्ग का अक्षय सुख भोगते हैं। क्या आपके गांव, आपके शहर में है ऐसा कोई तालाब, ऐसा सदानीरा सरोवर? छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में ऐसा एक तालाब है। पहुनाई में चरण पखारने वाले कंडरका गांव के बाशिंदे पानी को भी पूजते हैं। यही कारण है कि वे अपने जलाोतों का संरक्षण पूरे...
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30 फीसदी सीटें नहीं भरने वाले इंजीनियिंरंग कॉलेजों पर चलेगी कैंची
रायपुर। इंजीनियरिंग कोर्सेस में लगातार टूटते तिलिस्म से अब ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने भी सीटों की कटौती करने का निर्णय लिया है। जिन इंजीनियरिंग कॉलेजों में पिछले पांच साल के भीतर 30 फीसदी सीटें नहीं भरी हैं, उन्हें इस साल फिलहाल बंद नहीं किया जाएगा। सत्र 2018-19 में इन कॉलेजों की सीटें आधी कर दी जाएंगी। राज्य के स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (सीएसवीटीयू) के अकिारियों का कहना...
More »समतामूलक रहा है मुंडा समाज-- डॉ खातिर हेमरोम /रेमिस कंडुलना
मुंडा जितनी प्राचीन जाति है, उतना ही उसका इतिहास भी प्राचीन है. किंतु इसके इतिहास को गौण कर दिया गया है. भारत में इसका पुख्ता प्रमाण प्राचीन भारतीय सभ्यताओं के खुदाई के अवशेषों में मिलते हैं. पाषाण कालीन सभ्यता की संस्कृति मुंडाओं के कुल पुरखों की है. इनके पुरखों की याद में एवं उनके श्रद्धा सम्मान में पूर्वजों की आत्मा को सुरक्षित रखते हुए वर्तमान तक ससनदिरि में रखकर संस्कार...
More »नया फॉर्मूला ईजाद, अब धान की भूसी से बनेगी इमारत, कम आएगी लागत
विकास पांडेय, बिलासपुर। रेत और सीमेंट की जगह अब धान की भूसी का इस्तेमाल किया जा सकेगा। जी हां, धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में इंजीनियरिंग के छात्रों ने यह कारनामा कर दिखाया है। इससे कांक्रीट में पड़ने वाली रेत और सीमेंट की मात्रा घटाई जा सकेगी। निर्माण में मजबूती उतनी ही दमदार रहेगी और लागत 20 फीसद तक घट जाएगी। आइटी कॉलेज कोरबा में सिविल इंजीनियरिंग के...
More »बीमार स्वास्थ्य तंत्र का निदान-- राजू पांडेय
विश्व स्वास्थ्य सूचकांक में भारत का स्थान 188 देशों में 143वां है। भारत स्वास्थ्य पर अपने जीडीपी का सिर्फ 1.4 प्रतिशत व्यय करता है। जबकि अमेरिका जीडीपी का 8.3 प्रतिशत, चीन 3.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका 4.2 प्रतिशत व्यय करता है। स्वास्थ्यमंत्री फरवरी 2015 में राज्यसभा में यह स्वीकारकर चुके हैं कि देश में चौबीस लाख नर्सों और चौदह लाख डॉक्टरों की कमी है। हम प्रतिवर्ष केवल साढ़े पांच हजार...
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