हरीश दिवेकर, भोपाल। सबको घर देने के लिए राज्य सरकार आवास गारंटी कानून बना रही है। इसके अनुसार वर्ष 2022 तक हर किसी के पास खुद का घर होगा। इस अवधि के बाद मप्र में एक भी परिवार ऐसा नहीं होगा जिसके पास खुद की छत न हो। यदि किसी कारण से सरकार तय सीमा में आवास नहीं दे पाती है या आवास देने में देरी होती है, तो संबंधित...
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विकास की नीतियां बदलने का वक्त - यशवंत सिन्हा
भारत में घोषित आर्थिक सुधारों का इतिहास 24 साल पुराना है, लेकिन इन 24 वर्षों में भी सुधारों को लेकर जो विवाद हैं, वे अभी तक समाप्त नहीं हुए हैं। आज भी भूमि अधिग्रहण, श्रम कानून, जीएसटी, डायरेक्ट टैक्स (जैसे गार अथवा पिछली तिथि से लागू होने वाले कर) विदेशी पूंजी निवेश इत्यादि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर आज भी कोई सहमति नहीं बन पाई है। जब डॉ. मनमोहन...
More »हमारी संवेदना का अकाल-- योगेन्द्र यादव
अकेले नहीं आता अकाल. पानी, प्रकृति और समाज के देशज चिंतक अनुपम मिश्र के लेख का यह शीर्षक अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है. कुदरत सूखा देती है, अकाल नहीं. हर चौथे-पांचवें साल हमारे देश में बारिश की कमी होती है. लेकिन जरूरी नहीं कि इससे अन्न की कमी हो, पीने के पानी का संकट हो, इंसानों और मवेशियों की जान पर बन आये, खेती-किसानी से जुड़े हर...
More »हरित भारत मिशन से जुड़ेंगे उद्योग
जलवायु परिवर्तन के खतरों से जूझने के लिए पर्यावरण मंत्रालय कई नई पहल पर मंथन कर रहा है। हरित भारत मिशन से कई मंत्रालयों की योजनाओं को जोड़ने के लिए पहल की जा रही है। मनरेगा जैसी महात्वाकांक्षी योजनाओं में इसी अहम भूमिका की संभावनाओं को महसूस कर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसके लिए काम शुरू कर दिया है। भारत ने पेरिस सम्मलेन को विकासशील देशों पर बंदिशों को थोपने का...
More »सूखे का साया
आखिरकार भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली। उसने इस साल मानसून के कमजोर रहने का अंदेशा जताया था। तब वित्तमंत्री ने कहा था कि घबराने की बात नहीं है, हो सकता है मानसून संबंधी पूर्वानुमान गलत निकले। दरअसल, वित्तमंत्री को बाजार की चिंता सता रही थी और वे निवेशकों को आश्वस्त करना चाहते थे कि सब कुछ ठीकठाक रहेगा। पर अब मौसम संबंधी पूर्वानुमान पहले से कहीं अधिक वैज्ञानिक...
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