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पांच बातें जो इस आफत के बीच आपको राहत दे सकती हैं

-सत्याग्रह, कोरोना वायरस से होने वाली महामारी कोविड-19 ने 160 से ज्यादा देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. मौतों का आंकड़ा 16 हजार के पार हो गया है. करीब साढ़े तीन लाख लोग संक्रमण का शिकार हैं. इस बीच एक अध्ययन कह रहा है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो यह वायरस अकेले अमेरिका में करीब 22 लाख लोगों की जान ले सकता है. दिल्ली सहित भारत के...

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योगीराज के तीन सालः आंकड़ों के आईने में एनकाउंटर, मर्डर, रेप, बेरोजगारी और बवाल…

-मीडियाविजिल, योगी आदित्यनाथ की गिनवायी उपलब्धियों की मीडियाविजिल ने सरकारी आंकड़ों के सहारे पड़ताल की है. यह पड़ताल समाज के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ी है. जो आंकड़े सामने आये हैं, वे दिल दहलाने वाली तस्वीर पेश करते हैं. मीडियाविजिल एक-एक कर के अलग-अलग क्षेत्रों की ज़मीनी हक़ीकत पाठकों के सामने रख रहा है. रोजगार  पिछले विधानसभा चुनाव के मौके पर भारतीय जनता पार्टी ने युवाओं के लिए 70 लाख नौकरियों का वादा किया था....

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कोरोना वायरस: मानव शरीर इस संक्रमण से कैसे लड़ रहा है?

-बीबीसी, ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने इस बात की पहचान कर ली है कि मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना वायरस का मुक़ाबला कैसे करती है. यह शोध नेचर मेडिसीन जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इस शोध में कहा गया है कि चीन समेत कई देशों में लोगों के कोरोनावायरस संक्रमण से उबरने की ख़बरें आने लगी हैं. ऐसे में शोधकर्ताओं ने यह पता करने का...

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मिट्टी की जांच करवाकर फसल लेने वाले किसानों को होता है सबसे ज्यादा फायदा

-फसल क्रांति, लगातार ख़राब होते मिट्टी के स्वास्थ्य से किसानों की समस्या बढ़ रही है. इससे फसल उत्पादन में कमी आ ही रही है इसके साथ ही मानव शरीर को भी नुकसान पहुँच रहा है. मिट्टी के स्वास्थ्य का ख़राब होने का एक बड़ा कारण है,  किसानों द्वारा अत्यधिक कृषि रसायनों और उर्वरकों का इस्तेमाल करने से मिट्टी का स्वास्थ्य ख़राब हो रहा है.  जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति कम लगातार...

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हमें खाली-पीली 'हैप्पी विमंस डे' या महिला दिवस की बधाई सुनना अच्छा नहीं लगता

-सत्याग्रह, प्रसव का दर्द और मातृत्व का सुख तब भी था जब भाषाएं और सभ्यताएं भी विकसित नहीं हुई थीं. यानी मातृत्व का इतिहास दुनिया की किसी भी सभ्यता के इतिहास से भी पुराना है. समय-समय पर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में स्त्रीवादी लेखिकाओं ने मातृत्व के बारे में अपने विचार रखे हैं. लेकिन अपने भारतीय समाज में तमाम स्त्रीवादी आंदोलनों, विचार-विमर्श, चर्चा और लेखन के बाद भी एक बड़ी हद...

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