-न्यूजलॉन्ड्री, दुनिया भर के इंसानों के सामने एक बड़ा संकट है. हमारी पीढ़ी का शायद यह सबसे बड़ा संकट है. आने वाले कुछ दिनों और सप्ताहों में लोग और सरकारें जो फ़ैसले करेंगी, उनके असर से दुनिया का हुलिया आने वाले सालों में बदल जाएगा. ये बदलाव सिर्फ़ स्वास्थ्य सेवा में ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था, राजनीति और संस्कृति में भी होंगे. हमें तेज़ी से निर्णायक फ़ैसले करने होंगे. हमें अपने फ़ैसलों...
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कोरोनावायरस और साफ पानी का महत्व
-डाउन टू अर्थ, 22 मार्च को विश्व जल दिवस है। नोवेल कोरोनो वायरस बीमारी (कोविड-19) हमारी अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. ऐसे में, यह समझने की जरूरत है कि सब के लिए स्वच्छ और सुलभ तरीके से पानी की उपलब्धता कितना महत्वपूर्ण है। इस महामारी से बचने का एकमात्र अचूक उपाय यही है कि हम लगातार अपने हाथों को हर बार 20 सेकंड तक धोएं। यानी, साफ पानी रोगों...
More »किसानों के लिए बने रिस्क मैनेजमेंट अथॉरिटी- अशोक दलवई
-आउटलुक, औद्योगिक और वित्तीय क्षेत्र की तरह भारत के कृषि क्षेत्र में भी सुधारों की जरूरत है। इसमें विदेशी कंपनियों और घरेलू कॉरपोरेट सेक्टर को निवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। 1991 में शुरू हुए आर्थिक सुधारों की बदौलत भारत 2.7 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बना है, लेकिन कृषि क्षेत्र अभी तक इन सुधारों से वंचित है। हमें यह नहीं समझना चाहिए कि कृषि क्षेत्र सुधारों के दबाव को नहीं...
More »ग्रामीणों के लिए दोहरी मार साबित होगी कोरोना महामारी
-डाउन टू अर्थ, कोरोनावायरस (कोविड-19) बीमारी की वजह से हमारे समाज की असमानता सामने नहीं आई है। मुक्त बाजार काल में इसे अस्तित्व के खतरे के तौर पर पहले ही स्वीकार किया जा चुका है। कोरोनावायरस की वजह से यह जरूर स्पष्ट हुआ है कि आर्थिक रूप से हाशिए पर खड़े लोगों को स्वास्थ्य आपातकाल का सामना कैसे करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, अगर हम अमेरिका की बात करें तो कई...
More »आवरण कथाः अर्थव्यवस्था पर कोरोना का कहर
-इंडिया टूडे, पश्चिम एशिया में मंडराते युद्ध के बादल छंटने लगे थे, अमेरिका ने ईरान के खिलाफ अपने रुख में नरमी के संकेत देने शुरू ही किए थे कि दुनियाभर में एक दूसरी आपदा ने पैर पसार लिए. 12 मार्च तक, नए कोरोना वायरस कोविड-19 से 120 देशों और विभिन्न क्षेत्रों के 1,31,571 लोग संक्रमित हो चुके थे और दुनियाभर में 4,936 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी. चीन...
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