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‘हिंदी प्रदेश’ की पहचान के मायने- शैबाल गुप्ता

शैबाल गुप्ता जाने-माने अर्थशास्त्री और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद स्थित गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट ने उन्हें 29वें ‘गोविंद बल्लभ पंत मेमोरियल लेक्चर' में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. इस अवसर पर बोलने के लिए उन्होंने जो विषय चुना, उसका शीर्षक था- ‘आइडिया ऑफ द हिंदी हार्टलैंड'. हिंदी में इसे ‘हिंदी प्रदेश की धारणा' कहा जा सकता है. इस...

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इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फैलोशिप-2014 के पऱिणाम घोषित!

इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फैलोशिप 2014 के लिए हिन्दी और अंग्रेजी मीडिया से जुड़े ओड़िशा, झारखंड, असम और पंजाब के कुल छह पत्रकारों का चयन हुआ है। चयनित फैलो अपनी रोजमर्रा की पत्रकारिता से समय निकालकर देश के ग्रामीण और वंचित समुदायों के बीच समय बिताएंगे ताकि समाज के इस हिस्से की चिन्ता और सरोकारों को व्यापक कवरेज मिल सके और उसपर लोगों का ध्यान जा सके। फैलोशिप के अन्तर्गत चयनित...

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योजना आयोग को खत्म करने पर आम सहमति

राजनेताओं, अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था बनाने के लिए मंगलवार को कई घंटे की मैराथन बैठक की। इसमें योजना आयोग को खत्म करने पर आम सहमति बनी। योजना भवन में हुई बैठक में नई संस्था के आकार, नाम, ढांचा और राज्यों की भागीदारी आदि को लेकर चर्चा की गई। बैठक में आए विचारों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया जाएगा। योजना भवन में उच्च...

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योजना आयोग की जगह स्पेशल-5,शिवसेना के प्रभु होंगे प्रमुख!

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से योजना आयोग को खत्म करने की बात कही है, वैकल्पिक व्यवस्था पर कयास लगने लगे हैं. द इकोनॉमिक टाइम्स की मानें, तो मोदी से शक्तियां लेनेवाला पांच सदस्यीय थिंक टैंक योजना आयोग की जगह लेगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु पैनल का सबसे अहम चेहरा हो सकते हैं. साथ ही मुक्त बाजार के हिमायती भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री अरविंद पनगढि़या और विवेक देबरॉय भी...

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फसल बीमा में 200 करोड़ सीधे बीमा कंपनियों की जेब में

नईदुनिया एक्सक्लूसिव, रायपुर (ब्यूरो)। फसल आधारित बीमा में किसानों की मेहनत की कमाई की 200 करोड़ रु. से अधिक की राशि निजी बीमा कंपनियों की जेब में जाने वाली है। ऐसा सरकार से कृषि ऋण लेने वाले किसानों पर जबरिया लादी गई फसल बीमा योजना की वजह से होने वाला है। इस बात को लेकर किसान खासे चिंतित हैं कि उन्हें बीमा की शर्तों के हिसाब से क्षतिपूर्ति नहीं मिलने...

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