कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से एडटेक कंपनियों द्वारा शारीरिक कक्षाओं के विकल्प के तौर पर प्रचारित ऑनलाइन शिक्षण और शिक्षा, का हमारे देश में एक बड़ा उपभोक्ता आधार बन गया है. हालाँकि, समाज के वचिंत वर्गों में, ऑनलाइन शिक्षा का प्रभाव और फैलाव बहुत कम है. वास्तव में, हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद वर्ग और जाति-विभाजन की गहरी जड़ें डिजिटल शिक्षा तक लोगों की पहुंच को प्रभावित करता...
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अरावली में बगावत: कैसे भील आदिवासी राजनीति का व्याकरण बदल रहे हैं
-कारवां, 2 सितंबर 2021 को उदयपुर के एसपी कार्यालय से एक खत जिले के सभी सर्किल ऑफिसरों के नाम जारी हुआ. इस खत में 1 सितंबर 2021 के रोज राजस्थान पुलिस के इंटेलिजेंस विभाग के महानिदेशक खत का हवाला देते हुए दक्षिण राजस्थान में सक्रिय राजनीतिक दल भारतीय ट्राइबल पार्टी और अन्य आदिवासी संगठनों पर निगरानी रखने के निर्देश दिए गए थे. दरअसल पिछले साल 7 सितंबर को आदिवासी युवाओं ने शिक्षक भर्ती परीक्षा...
More »यूपी की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 5275 करोड़ रुपये का बकाया राज्य सरकार पर गन्ने का एसएपी बढ़ाने का दबाव
-रूरल वॉइस, उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 5275 करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान बकाया है। चालू पेराई सीजन (अक्तूबर,2020 से सितंबर, 2021) के दौरान 33,025 करोड़ रुपये मूल्य के 10.28 करोड़ टन गन्ने की पेराई की गई। इसके लिए किसानों को 27,750 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जबकि 5275 करोड़ रुपये का बकाया है। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 11 सितंबर को गन्ना भुगतान के...
More »पुरुषों की तुलना में महिला नसबंदी प्रक्रिया ज्यादा जटिल लेकिन भारत में इसे ही प्राथमिकता दी जाती है
-द प्रिंट, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में पिछले हफ्ते 101 महिलाओं की नसबंदी के मामला कुछ ऐसा है जो खुद इस पूरी प्रक्रिया की असली तस्वीर को सामने लाता है. महिला नसबंदी या ट्यूबेक्टॉमी परिवार नियोजन के उपलब्ध तरीकों में सबसे ज्यादा जटिल है. फिर भी भारत में कंडोम, इंट्रायूटराइन डिवाइस (आईयूडी), गर्भनिरोधक गोलियों और पुरुष नसबंदी की तुलना में परिवार नियोजन के इसी तरीके का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. राष्ट्रीय परिवार...
More »बिहार: बाढ़़ प्रभावित इलाकों में कैसे होगा पंचायत का चुनाव; कैसी हैं चुनाव आयोग की तैयारियां
-न्यूजक्लिक, बिहार के अधिकतर गांवों के लोग मुखिया और सरपंची के चुनाव की तैयारी में लगें हुए हैं। वहीं दरभंगा के पूर्वी प्रखंड में पानी से घिरे गांवों में लोग बोट, राहत शिविर और सामुदायिक रसोई के भरोसे अपनी जिंदगी को जीने की कश्मकश में लगे हुए हैं। कुशेश्वरस्थान के विजय यादव जो 68 साल के हैं, उन्होंने न्यूजक्लिक को बताया कि, “कुशेश्वरस्थान क्षेत्र को बाढ़़ के पानी का अघोषित ससुराल कहा...
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