भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...
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विलायती ठिकानों में पैसा लगाने वालों में छह सौ भारतीय
नई दिल्ली। जानकारी के अनुसार विदेशों में काला धन छिपाने वालों में नेताओं के अलावा बड़े धन्नासेठ और कर अपवंचक शामिल हैं। विदेशी ठिकानों-बैंकों में निवेश और संदिग्ध लेनदेन से जुड़े अपने तरह के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय खुलासे में खोजी अखबारनवीसों के एक समूह ने इस बात की अहम जानकारी जुटाई है कि भारत समेत दुनिया की एक लाख से ज्यादा कंपनियों, न्यासों, और निजी लोगों ने 170 देशों में...
More »मॉरीशस मार्ग की माया- सुनील
जनसत्ता 1 अप्रैल, 2013: अट्ठाईस फरवरी को बजट पेश होते ही, वित्तमंत्री की उम्मीद के विपरीत, शेयर बाजार का सूचकांक गिरने लगा और पिछले तीन महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। कारण खोजने पर बजट भाषण का एक वाक्य खलनायक बन कर उभरा। तत्काल वित्तमंत्री से लेकर वित्त मंत्रालय के अधिकारियों तक ने पत्रकार वार्ताएं आयोजित कर सफाई जारी की, ‘गलतफहमी\' दूर करने की कोशिश की और माफी...
More »भारत दुनिया का चौथा बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता
वाशिंगटन। ऊर्जा खपत में लगातार बढ़ोतरी के चलते भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश बन गया है। इस मामले में भारत अब केवल अमेरिका, चीन और रूस से ही पीछे है। हालांकि, प्रति व्यक्ति ऊर्जा इस्तेमाल अभी भी विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है। अमेरिकी एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन [ईआइए] ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। सोमवार को जारी हुई इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष...
More »सत्तर जैसा हाल, इक्यानबे जैसी आफत
नई दिल्ली, [अंशुमान तिवारी]। वित्त मंत्री के धमकाने पर विकास दर का आंकड़ा भले ही बदल जाए, लेकिन हकीकत बदलने वाली नहीं है। भारत के आर्थिक विकास की गति व्यावहारिक रूप से अब साठ-सत्तर के दशक वाली स्थिति में पहुंच गई है। विकास दर में से अगर विदेश व्यापार और विदेशी पूंजी को हटा दिया जाए तो देशी अर्थव्यवस्था पांच फीसद भी नहीं, बल्कि केवल 3 से 3.5 फीसद की दर से...
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