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यूनेस्को साइंस रिपोर्ट 2021: रिसर्च और टेक्नोलॉजी डेवल्पमेंट भारत का भविष्य तय करेगी!

वैज्ञानिक ज्ञान ने भयानक कोरोनावायरस और इसके प्रसार से निपटने में बहुत मदद की है. रिकॉर्ड कम समय के भीतर, वैज्ञानिकों (वायरोलॉजिस्ट, एपिडेमियोलॉजिस्ट, बायोस्टैटिस्टियन, आदि सहित) और उनके शोध परिणामों ने आम लोगों को यह जानने में मदद की कि SARS-CoV-2 क्या है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कैसे फैलता है. आम लोगों को अब यह पता चल गया है कि कैसे सरल तकनीक और व्यवहार में...

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हरियाणा में महिला आयोग के पास लव जिहाद की एक भी शिकायत नहीं, फिर भी कानून बनाने में जुटी सरकार!

-गांव सवेरा, हरियाणा सरकार कथित लव जेहाद को गम्भीर समस्या के तौर पर प्रचारित कर इसको रोकने के लिए सख्त कानून बनाने में जुटी है. लेकिन एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि राज्य महिला आयोग के सामने लव जिहाद का कोई मामला नहीं आया है. आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर द्वारा 13 नवम्बर 2020 को लगाई गई आरटीआई का जवाब देते हुए हरियाणा राज्य महिला आयोग के जन सूचना अधिकारी ने यह...

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मणिपुर में सेना पर नागरिक की हत्या के आरोप के बाद फिर तेज हुई आफ्स्पा पर बहस

-कारवां, भारतीय सेना की 44 असम राइफल्स कंपनी के एक मेजर पर मणिपुर के कांगपोकपी जिले के चालवा गांव के एक नागरिक की हत्या का आरोप लगने के बाद राज्य में आफ्स्पा पर बहस फिर तेज हो गई है. उक्त घटना के लगभग एक महीने बाद भी समझौते के तहत पीड़ित परिवार को जो मुआवजा दिया जाना था वह अभी तक नहीं मिला है. स्थानीय लोगों के अनुसार 4 जून को कांगपोकपी...

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कोविड-19 के कारण जरुरी जीवन रक्षक टीकों से वंचित रह गए थे 2.3 करोड़ बच्चे

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाले असर के कारण 2020 के दौरान दुनिया भर में करीब 2.3 करोड़ बच्चे जरुरी जीवनरक्षक टीकों से वंचित रह गए थे। देखा जाए तो यह आंकड़ा 2019 की तुलना में 37 लाख ज्यादा है, जोकि 2009 के बाद से सबसे ज्यादा है। यह जानकारी आज विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और यूनिसेफ द्वारा जारी आंकड़ों में सामने आई...

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केन-बेतवा लिंक: नए अध्ययन के बिना डेढ़ दशक पुराने आंकड़ों के आधार पर दो राज्यों में हुआ क़रार

-द वायर, किसी भी परियोजना के चलते पर्यावरण एवं जनमानस को नुकसान होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए उस प्रोजेक्ट की उपयोगिता एवं उसके प्रभावों पर स्वतंत्र रूप से गंभीर अध्ययन कराने की मांग की जाती रही है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इससे पड़ने वाले प्रभावों को कम किया जा सके व उससे हुई क्षति की उचित भरपाई हो सके. हालांकि जिस कार्य को करने में विशेषज्ञ महीनों...

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