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असल संत की अंत कथा- आशीष खेतान और मनोज रावत

गंगा को लेकर संतों और खनन माफिया के बीच छिड़ी लड़ाई में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक नहीं बल्कि बार-बार और खुल्लमखुल्ला खनन माफिया का साथ दिया है. स्वामी निगमानंद की मौत के पीछे का सच सामने लाती आशीष खेतान और मनोज रावत की विशेष पड़ताल बाबा रामदेव को ध्यान खींचने की कला आती थी. स्वामी निगमानंद के पास यह हुनर नहीं था. इसलिए एक ओर रामदेव विदेशों में जमा...

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काश! इन किसानों के लिए भी होते कोई प्रेमचंद

हाड़-तोड़ मेहनत कर उपजाई गई फसल को औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर -क्रय केंद्र के इंतजार में पथरा गई आंखें, विशेष परिस्थिति में दे दिया बिचौलिए को अजय रत्‍‌न, मुजफ्फरपुर : बोचहां प्रखंड के सनाठी गांव निवासी केदार सहनी व बिंदेश्वर राय को क्या मालूम था कि उन्हें अपनी सोने सी फसल बिचौलिए के हाथ औने-पौने दाम पर बेच देनी होगी। केदार को पत्‍‌नी की अचानक मौत व बिंदेश्वर को माता...

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अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत

विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...

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कर्ज में डूबे दो किसानों ने की आत्महत्या

बर्दवान : बर्दवान जिले में भातार और मंगलकोर्ट में दो किसानों की अस्वाभाविक मौत हो गयी. पुलिस के मुताबिक भातार थाना क्षेत्र के नारीग्राम में किसान सुजन घोष (29) ने गले में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. परिजनों ने पुलिस को सूचित किया कि बोरो खेती के लिए महाजन से कर्ज लिया गया था. दूसरी ओर, मंगलकोर्ट थाने के हुरमुट गांव में एक किसान की अस्वाभाविक मौत हुई. पुलिस ने मृतक...

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लोकतंत्र का लट्ठ- रेयाज उल हक (तहलका)

भट्टा-पारसौल में जो हुआ और जिस अंदाज में हुआ उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार को असहमति और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार की जरा भी परवाह नहीं. रेयाज उल हक की रिपोर्ट अगर यह लोकतंत्र है तो भट्टा-पारसौल के लोगों ने इसका मतलब देखा और महसूस किया है. देश की संसद से बमुश्किल 70 किलोमीटर दूर बसे 6000 जनों की आबादी वाले इस गांव ने लोकतंत्र को गोलियों के रूप...

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