-जनपथ, OPEN SPACE सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश March 3, 2021 - by चौधरी सवित मलिक - Leave a Comment तीन महीने हो चुके हैं दिल्ली के चारों तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है। 250 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। आखिर सरकार...
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कृषि मंत्रालय ने पहली बार बनाई आपदा प्रबंधन योजना, जल्द होगी लागू
-डाउन टू अर्थ, अपनी तरह के पहले प्रयास में केंद्र सरकार जल्द ही बाढ़ और सूखे जैसी भीषण मौसमी परिस्थितियों से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन योजना लागू करने जा रही है। इसमें नॉवेल कोरोनावायरस बीमारी जैसी दुर्लभ घटनाओं को भी शामिल किया जाएगा। यह योजना जिसे मार्च 2021 में पेश किए जाने की उम्मीद है, उसमें ऐसे 34 जोखिमों को सूचीबद्ध किया गया है, जो कृषि क्षेत्र के लिए खतरा बन...
More »दिल्ली दंगा: सरकार के मदद के आश्वासनों के बाद पीड़ितों को मिला 10 फीसदी से भी कम मुआवज़ा
-द वायर, उत्तर पूर्वी दिल्ली का मौजपुर चौक इलाका पहले की ही तरह सामान्य होकर अपनी धुन में चल रहा है. सड़कें हर समय गाड़ियों से भरी रहती हैं, चारों तरफ हॉर्न का शोर सुनाई देता है और बजबजाते लंबे नाले से लगातार दुर्गंध आती रहती है. ज्यादातर बिहार और उत्तर प्रदेश से आए लोग यहां की संकरी गलियों में किसी तरह अपने जीवन की गाड़ी खींच रहे हैं. ऊपर से देखकर ऐसा नहीं...
More »एसओई 2021 : 2019 में वायु प्रदूषण के कारण अकेले पांच राज्यों में हुईं 8.5 लाख से ज्यादा मौतें
-डाउन टू अर्थ, वर्ष 2019 में 16.7 लाख मौतों का कारण वायु प्रदूषण रहा है, इनमें 50 फीसदी (851,698) मौतें महज पांच राज्यों में ही हुई है। इन पांच राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और राजस्थान का नाम शामिल हैं (नीचे एसओई 2021 की सारिणी में विस्तार से देखें)। बड़ी जनसंख्या और प्रति व्यक्ति कम आय वर्ग वाले यह राज्य वायु प्रदूषण के कारण होने वाली समयपूर्व...
More »छत्तीसगढ़ में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में बड़े किसानों के साथ आए खेत मजदूर
-कारवां, “मनरेगा में हमें यह सरकार अब मुश्किल से बीस दिन ही काम दे रही है. जब हमने मनरेगा में काम करना शुरू किया था तो किसी साल 50-60, तो किसी साल 80 दिनों तक हमें अपने गांव में ही काम मिल जाता था. पर, हमें तो अपना गुजारा करने के लिए साल के सभी दिन काम चाहिए न. इसलिए, कुछ दिन हम अपने खेत और कुछ दिन बड़े किसानों के खेतों...
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