जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
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भूमि अधिग्रहण से डरते हैं किसान-- तवलीन सिंह
जब भी कृषि से जुड़ी किसी समस्या पर लिखना होता है, तब मैं अपने भाई के साथ सलाह-मशविरा करती हूं। मेरे भाई की गिनती बड़े किसानों में होती है, लेकिन खेती से उसको तभी थोड़ा-बहुत पैसा वसूल हुआ, जब करनाल शहर के दिन-ब-दिन फैलते दायरे से उसकी जमीन के कुछ हिस्से शहरी घोषित हुए और अचानक कीमत बढ़ गई। वर्ना गुरबत के बीच गुजरी है मेरे भाई की जिंदगी। एक...
More »एक साल में 41 फीसदी महंगी हुई दालें: सरकार
नई दिल्ली। पिछले एक साल के दौरान रिटेल मार्केट में दालों के भाव 41 प्रतिशत तक बढ़ गए। फसलों के प्रतिकूल मौसम के कारण उत्पादन में गिरावट इसकी वजह रही। सरकार की ओर से शुक्रवार को संसद में यह जानकारी दी गई। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, 'पिछले एक साल में प्रमुख दालों के भाव 12.63 फीसदी से लेकर 40.73 प्रतिशत...
More »कृषि उत्पाद की कीमत बताने का मामला, हेल्पलाइन नंबर जारी करेगी राज्य सरकार
कोलकाता: राज्य के किसानों को कृषि उत्पाद की कीमतों की जानकारी देने के लिए कृषि विभाग ने विशेष नंबर जारी करने का फैसला किया है. राज्य सरकार ने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) को आवाज के आधार पर नयी तकनीक बनाने का जिम्मा सौंपा है, जो बंगाली भाषा में होगी. सभी जिलों के लिए अलग-अलग हेल्प लाइन नंबर बनाये जायेंगे, जिस पर फोन कर किसान विभिन्न फसलों की कीमतों...
More »दूसरी हरित क्रांति एक और भ्रांति-- योगेन्द्र यादव
हमारे प्रधानमंत्री को जुमलों का शौक है. खासतौर पर उधार के जुमलों का. इस बार उन्होंने ‘दूसरी हरित क्रांति’ का आह्वान किया है. हजारीबाग के निकट बरही में 28 जून को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ (हर बूंद से ज्यादा दाने पैदावार) का नारा दिया. नारों में कुछ बुराई नहीं है, बशर्ते उनके पीछे कोई नयी सोच हो, नीति हो या नीयत...
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