ट्वीटर जैसे सोशल नेटवर्क पर अब बहस बैंगन पर आ टिकी हैं और ग्रीन पीस इंडिया जैसे संगठन ने आनुवांशिक रुप से परिवर्धित फसलों के खिलाफ जनमत बनाने के लिए सचमुच दुनिया का सबसे नायाब बैंगन का भर्ता बनाने की ठान ली है।बीटी बैंगन के खिलाफ बहस की आंच तेज हो रही है और बैंगन का सवाल अचानक आनुवांशिक रुप से परिशोधित फसलों की जमीन तैयार करने या फिर उनकी...
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प्रभाष जोशी का जाना, माने पत्रकारिता के एक युग का खत्म होना
हिन्दी पत्रकारिता के शिखर कहे जाने वाले प्रभाष जोशी का कल देर रात निधन हो गया । दिल्ली से सटे वसुंधरा इलाके की जनसत्ता सोसाईटी में रहने वाले प्रभाष जोशी कल भारत और अस्ट्रेलिया मैच देख रहे थे । मैच के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा । परिवार वाले उन्हें रात करीब 11.30 बजे गाजियावाद के नरेन्द्र मोहन अस्पताल ले गए , जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया...
More »सूचना के अधिकार अधिनियम की धार कुंद करने की कोशिश
रोजमर्रा के राजकाज में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम समझा जाने वाला सूचना का अधिकार नियम गंभीर खतरे की जद में है। पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान इस ऐतिहासिक अधिनियम को बार-बार अपनी उपलब्धि कहकर भुनाने वाली यूपीए सरकार अब सत्ता के गलियारों में ऊंची कुर्सियों पर काबिज लोगों के आगे झुकते हुए इस अधिनियम में बदलाव करने वाली है ताकि नागरिकों के हाथ मजबूत करने वाला...
More »न्याय:कितना दूर-कितना पास
खास बात • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।* • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...
More »सूचना का अधिकार
[inside]आरटीआई कानून का इस्तेमाल करने पर मार दिए गये बिहार के निवासियों पर एक रिपोर्ट आई है. जानिये रिपोर्ट की मुख्य बातें[/inside] पूरी रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए कृपया यहाँ क्लिक कीजिये. साल 2010 से लेकर अब तक, बिहार में आरटीआई कानून का इस्तेमाल करने के कारण कुल 20 कार्यकर्ताओं ने अपनी जान गवाई है. लगभग आधे कार्यकर्ताओं की हत्या पिछले 4 साल में हुई हैं. वर्ष 2018 में छह कार्यकर्ताओं की हत्या की...
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