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तलाश सत्ता और सच में भिड़ंत की- योगेन्द्र यादव

अब आप से क्या छुपाना। मैंने कल तक मेरिल स्ट्रीप का नाम नहीं सुना था। मैं नहीं जानता था कि मेरिल स्ट्रीप हॉलीवुड की कितनी प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं, उन्हें कितने अवार्ड मिल चुके हैं। मैं अंग्रेजी फिल्म ज्यादा नहीं देखता हूँ। अब कामचलाऊ अंग्रेजी लिख-बोल जरूर लेता हूँ। लेकिन दुःख-सुख,प्यार और रंज में अंग्रेजी साथ छोड़ देती है। इसलिए कविता, कहानी और फिल्म का रसस्वादन अमूमन हिंदी में या हिंदी...

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SC करेगा फैसला, गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपी चुनाव लड़ेंगे या नहीं!

गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी लोगों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने से संबंधित दायर की गई एक पिटीशन पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। कोर्ट ने 5 जजों की स्पेशल बेंच बनाई है जो अब इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस याचिका को गंभीरता से लिया है और 5 राज्यों में इलेक्शन को देखते...

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धर्म और जाति पर न हो वोट--- विश्वनाथ सचदेव

‘अभी रुग्ण है तेरे-मेरे जीने का विश्वास रे', इस पंक्ति में कवि ने जीने के विश्वास को परिभाषित करते हुए उन जनतांत्रिक मूल्यों-सिद्धांतों का हवाला दिया था, जिनके आधार पर हमने स्वतंत्रता पाने के बाद एक पंथ-निरपेक्ष, समतावादी राष्ट्र-समाज के निर्माण का संकल्प लिया था. यह त्रासदी ही है कि वैसा समाज, वैसी व्यवस्था आज भी एक सपना ही है. आज भी हमारा देश धर्मों, जातियों, वर्गों में बंटा हुआ...

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सवालों में घिरी नोटबंदी-- अनुपम त्रिवेदी

आज से एक हफ्ते बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वयं-निर्धारित 50 दिन की समय-सीमा समाप्त हो रही है. देश इंतजार कर रहा है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी के वादे के अनुसार हालात सामान्य हो जायेंगे या फिर छह महीने और लगेंगे, जैसा कि सरकार विरोधी कह रहे हैं? असमंजस की स्थिति है. आम आदमी और अर्थशास्त्री, सभी कयास लगा रहे हैं. पर, प्रश्न बहुत हैं और उत्तर कम. नोटबंदी पर...

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आज तो आजिज हैं सब गरीब! - मृण्‍ााल पांडे

दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...

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