वो गांव गये थे..दावा है कि गांव-गांव यात्रा किये हैं..खेत-खेत, आरी-डरेड़ा सब जगह घूमें। उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि देश सूखे से बेहाल और सरकार दो साल के जश्न में निहाल है। उनका दावा है कि अभी दिल दिमाग जाग्रत है माने नहीं सूखा..भले ही खेत सूख गये हों..किसान बदहाल हो..आत्महत्या कर रहा हो। जी हां मैं बात कर रहा हूं स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव और उनके साथियों की...
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80 लाख के मकान में भूख से तड़पकर मर गए पति-पत्नी
उत्तरी बेंगलुरु के सुल्तानपाल्या में मंगलवार को बुजुर्ग दंपति के शव मिले हैं। बुजुर्ग व्यक्ति का शव घर के मुख्य हॉल में पाया गया, जबकि महिला का सड़ा गला शव बेडरूम में मिला। दंपति की पहचान बेंगलुरु पुलिस के सीटी आर्म्ड रिजर्व फोर्स के एक पूर्व हेड कॉन्स्टेबल वेनकोबा राव और उनकी पत्नी कलादेवी बाई के रूप में की गई है। दोनों की उम्र 80 साल के करीब बताई जा...
More »माना कि अच्छे दिन अभी नहीं आए हैं...- तवलीन सिंह
इस लेख को लिखते हुए मुझे दुख होता है, लेकिन लिखना जरूरी है, क्योंकि जिस तरह अरुण शौरी ने पिछले सप्ताह मोदी सरकार की आलोचना की, वह मुझे निजी तौर पर बुरा लगा। मैंने जब से पत्रकारिता की दुनिया में पहला कदम रखा, तब से मैं शौरी साहिब का सम्मान करती आई हूं। संयोग से मुझे अखबार में पहली नौकरी इमरजेंसी लगने से एक महीना पहले मिली थी। उस दौर...
More »गर्मी की छुट्टियों में भी सूखाग्रस्त राज्यों में छात्रों को मिलता रहे मिड-डे मील: SC
देश के सूखा पीड़ित राज्यों में स्कूली छात्रों को अब भूखा नहीं रहना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश जारी कर कहा है कि देश में सूखे की मार झेल रहे इलाकों में स्कूली बच्चों को गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी मिड डे मील मुहैया किया जाता रहे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया है कि वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना(मनरेगा) का बकाया पैसा जल्द...
More »बुंदेलखंड-- भूख से कराह रहे सहरिया परिवार
सूखा क्या पड़ा, जैसे सहरिया परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। खेतों में कटाई कर उसमें गिरे-पड़े दानों को बीनकर और मेहनत-मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करने वाला सहरिया समुदाय सूखे की जबरदस्त मार झेल रहा है। किसी ने खाने को दे दिया तो ठीक है, नहीं तो वह खाली पेट सोने को मजबूर हो जाते हैं। ग्राम पंचायत छपरट की सहरिया बस्ती के हालात यह हैं कि यहां के...
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