पिछले साल के अंतिम दिनों की बात है। दो युवकों ने तय किया कि वे अपने जीवन का एक माह उतने पैसों में बिताएंगे, जो एक औसत गरीब भारतीय की मासिक आय है। उनमें से एक युवक हरियाणा के एक पुलिस अधिकारी का बेटा है। उसने पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की है और अमेरिका और सिंगापुर में बैंकर के रूप में काम कर चुका है। दूसरा युवक अपने माता-पिता के साथ...
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भूखे देश से अनाज का निर्यात- देविंदर शर्मा
कोई और देश यहां भूख मिटाने नहीं आयेगा. संविधान में भी कहा गया है कि लोगों की भूख मिटाना सरकार का दायित्व है. ऐसे में भूखे लोगों की उपेक्षा कर अनाज का निर्यात अपराध ही है. देश में बंपर फसल को देखते हुए अनुमान है कि आगामी एक जून तक गेहूं और धान का भंडार करीब 7.5 करोड़ टन का हो जायेगा. दूसरी ओर देश में 32 करोड़ लोग आज भी...
More »पानी का निजीकरण यानी विनाश- कुमार प्रशांत
हमारे प्रधानमंत्री ने रहीम को कब और कितना पढ़ा, यह तो पता नहीं, लेकिन पिछले दिनों उन्होंने जल सप्ताह के आयोजन में पानी को लेकर जो बातें कहीं, उससे एक बात तो साफ हो गई कि उन्हें पानी की चाहे जितनी फिक्र हो, पानी की पहचान नहीं है। प्रकृति ने जो कुछ अक्षय और सर्वसुलभ बनाया था, उसमें सबसे पहले हवा और पानी का नाम आता है। कभी किसी ने सोचा...
More »जेब पर पड़ रहा बोझ, दो माह में 25 फीसदी महंगाई बढ़ी
रायपुर. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बाजार में खाद्य पदार्थो के दाम लगातार बढ़ रहे है। दो महीने में इनके दाम 25 फीसदी तक बढ़ गए हैं। चावल, दाल, तेल के दाम तो बढ़े ही, सब्जियों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं। व्यापारियों की मानें तो आने वाले दिनों में दाम और बढ़ने की संभावना है। खाद्य तेल व्यापारी प्रशांत धाड़ीवाल का कहना है कि सोयाबीन शिकागो से,...
More »मिलावट बढ़ी, मुनाफाखोरी भी
देहरादून। जो दूध आप तक 36 से लेकर 40 रुपए प्रति किलो तक पहुंच रहा है। उसके लिए दूध उत्पादकों को केवल 22-23 रुपए हासिल हो रहे हैं। सस्ता दूध चाहने की इच्छा रखने वालों के लिए खुले दूध का विकल्प है, लेकिन इसका सेवन खतरे से खाली नहीं। यूरिया, स्टार्च, सिंघाड़े का आटा मिला यह दूध कभी भी मुसीबत बन सकता है। अकेले दून में दो करोड़ से ज्यादा...
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