-जनपथ, 88वां दिन, 20 फरवरी 2021 एक तरफ सरकार गलत फॉर्मूला जोड़ कर कम MSP देती है दूसरी तरफ दिनों दिन बढ़ती तेल की कीमतें भी इनपुट लागत बढ़ा रही है। किसानों के साथ साथ देशभर के आम नागरिकों को भी पेट्रोल, डीजल, एवं गैस की बढ़ती कीमतों से भारी नुकसान होगा। बढ़ती कीमतों के खिलाफ देशभर में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। AIKKMS ने हरियाणा के झज्जर एवं रेवाड़ी में पेट्रोल...
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किसान संगठन ने कहा, सत्ता के शीर्ष पर बैठे पीएम मोदी एमएसपी पर सफेद झूठ बोल रहे हैं
-द वायर, केंद्र द्वारा लाए गए तीन विवादित कानूनों के खिलाफ रेल रोको प्रदर्शन के एक दिन बाद किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के सहयोगी संगठन अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बोले जा रहे ‘झूठ’ की ओर ध्यान दिलाया. संगठन के सदस्य और इन कानूनों पर सरकार के साथ बातचीत के प्रमुख वार्ताकारों में से एक हन्नान मोल्ला ने कहा,...
More »पर्यावरण रक्षक खेती है बारहनाजा - बाबा मायाराम
इन दिनों दिल्ली में किसान आंदोलन चल रहा है। खेती-किसानी की चर्चा चल रही है। इस समय तीन नए कृषि कानून व न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा खेती के व्यापक पहलुओं पर भी बात करना भी जरूरी है। मिट्टी- पानी, जैव विविधता व पर्यावरण रक्षक खेती की चर्चा भी जरूरी है। इनमें से एक है उत्तराखंड की पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो मिट्टी-पानी व जैव विविधता का संरक्षण करते हुए...
More »आवरण कथा/ महिला किसान : खेत-खलिहान की गुमनाम बेटियां
-आउटलुक, “‘किसान’ की आम छवि में नदारद, अर्थशास्त्रियों की गणना से बाहर, जमीन के कागजात में गैर-मौजूद हमारी खेती-किसानी की अदृश्य आधी आबादी पर किसान आंदोलन से पड़ी रोशनी” यह भारत का एक बेहद शर्मनाक रहस्य है। भारत का ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व का। जिस 'औपचारिक' अर्थव्यवस्था की हम अक्सर चर्चा करते हैं, जहां लोग परिश्रम करते हैं और उनके परिश्रम के फल को आंकड़ों और ग्राफ में दर्शाया जाता है,...
More »तिहाड़ से खबर : नहीं डिगे गिरफ्तार किसानों के हौसले, आंदोलन वापिस लेने से किया इनकार
-कारवां, 29 जनवरी को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पंजाब के पेरों गांव के 43 वर्षीय किसान जसमिंदर सिंह नम आंखों से मेरी तरफ देखते हुए कहते हैं, “सरकार को क्या लगता है… वह हमें जेल में डालकर हमारे हौसले तोड़ देगी. वह बड़ी गलतफहमी में है. शायद उसने हमारा इतिहास नहीं पढ़ा. हम तब तक वापस नहीं हटेंगे, जब तक यह तीनों कृषि कानून वापस नहीं हो जाते.” गुस्से का गुब्बार...
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