-न्यूजक्लिक, खेतों में भी हम कमाते हैं, देश को भी हम चलाएंगे,..घरों को भी हम चलाते हैं, देश को भी हम चलाएंगे, महिला शक्ति आई है, नई रोशनी लाई है... और यह नारे लगाते हुए महिला किसानों का जत्था अपनी अनोखी और ऐतिहासिक संसद सजाने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंच गया। देश की संसद के समानांतर, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्षरत किसानों ने किसान संसद का आह्वान किया और...
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229 जिलों में सामान्य से कम बारिश: धान, मोटा अनाज, दलहन-तिलहन की बुआई पर दिखा असर
-डाउन टू अर्थ, देश के 229 जिलों में अब तक सामान्य से कम बारिश हुई है, जबकि 22 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से बहुत कम (60 से 99 फीसदी कम) बारिश हुई है। इसका असर खरीफ सीजन की बुआई पर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। कृषि मंत्रालय द्वारा 23 जुलाई को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले वर्ष जुलाई के तीसरे सप्ताह के अंत तक 791.84 लाख हेक्टेयर...
More »मॉनसून सत्र के साथ जंतर-मंतर पर लगी ‘किसान संसद’, कृषि कानूनों पर हुई चर्चा!
-गांव सवेरा, संसद के मॉनसून सत्र के साथ किसानों ने भी जंतर-मंतर पर अपनी ‘किसान संसद’ लगाई. संयुक्त किसान मोर्चे के कार्यक्रम के तहत किसान जंतर-मंतर पर ‘किसान ससंद’ लगाने के लिए पहुंचे. धरना प्रदर्शन के कार्यक्रम के तहत 200 किसान बसों में सवार होकर सिंघू बॉर्डर से जंतर-मंतर पर पहुंचे. किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए सिंघु बॉर्डर से लेकर जंतर-मंतर तक भारी सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी. संसद भवन...
More »क्या इस साल खड़ा हो सकता है अन्न संकट? 5 साल में सबसे कम फसल की बुआई
-डाउन टू अर्थ, साल 2021 का मानसून बेशक अब सामान्य के आसपास बना हुआ है, लेकिन बारिश के असामान्य वितरण ने एक नई चिंता खड़ी कर दी है। केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के 16 जुलाई 2021 तक के आंकड़े बता रहे हैं कि इस बार खरीफ की बुआई बेहद प्रभावित हो रही है। इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 16 जुलाई 2020 तक देश में 691.93 लाख हेक्टेयर क्षेफफल में...
More »कई अध्ययन लेकिन एक निष्कर्ष - कोरोना लॉकडाउन ने देशव्यापी स्तर पर गरीबों को सबसे अधिक प्रभावित किया
सूखे राशन के प्रावधान के माध्यम से प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, सामुदायिक रसोई चलाने और 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना के उचित कार्यान्वयन से संबंधित भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) हमारे लिए किसी भी तरह से आश्चर्यजनक नहीं है. ज्यां द्रेज और अनमोल सोमांची द्वारा कुछ अध्ययनों की हालिया समीक्षा, जो बहु-राज्य सर्वेक्षणों (या...
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