बाबा मायाराम मध्यप्रदेश के एक किसान ने वीरान पड़ी जमीन को न केवल हरा-भरा कर लिया बल्कि वह पौष्टिक अनाजों के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है पूरी तरह जैविक फसलों के साथ सब्जियों व फलों का उत्पादन कर रहा है। इससे खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता व पर्यावरण रक्षा भी हो रही है। उस आत्मनिर्भर किसान का नाम है महेश शर्मा। छत्तीसगढ़ में लम्बे अरसे से रहने वाले महेश शर्मा ने उनके परिवार की...
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कोसी तटबंध तोड़ने का सच
-वाटर पोर्टल, यमुना प्रसाद मंडल, सांसद ने डलवा में तटबंध टूटने की समीक्षा करते हुये 4 सितम्बर 1963 को कहा था कि, डलवा के निकट जो खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो गई थी, उस ओर हमने अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया लेकिन मैं यह कहते हुए लज्जित हूं कि उस दुरावस्था की ओर उस समय कदम नहीं उठाया गया। तब नेताओं को अपनी असफलता पर शर्म आया करती थी। अरसा हुआ यह रस्म...
More »सिंचाई की वजह से भारत में बढ़ रहा है हीट स्ट्रेस
-डाउन टू अर्थ, क्या खेतों में की गई सिंचाई किसी इंसान के लिए हानिकारक हो सकती है, बात अटपटी है पर सही है। हाल ही में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), गांधी नगर द्वारा किए एक अध्ययन के अनुसार भारत के कुछ हिस्सों में सिंचाई बढ़ने के साथ वहां रहने वाले लोगों में हीट स्ट्रेस (गर्मी से होने वाला तनाव) में वृद्धि देखी गई है। यह शोध आईआईटी, के साथ पर्ड्यू...
More »गंगा उद्भव योजना: गाद से बेहाल मोकामा टाल
-गांव कनेक्शन, बिहार की राजधानी पटना से करीब 90 किलोमीटर पूरब की ओर बसे मोकामा क्षेत्र की कई पहचान है। कुछ पहचान ऐतिहासिक है और कुछ पौराणिक। इन पहचानों से इतर एक और पहचान है, जो यहां की अर्थव्यवस्था से गहरे जुड़ी हुई है। मौसम के लिहाज से दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार दो ध्रुवों पर खड़ा नजर आता है। दक्षिण बिहार में अपेक्षाकृत अधिक गर्मी और अधिक सर्दी पड़ती है।...
More »‘नेता पुल बनवा देंगे कहकर वोट ले जाते हैं और हम वहीं के वहीं रह जाते हैं’
-द वायर, पश्चिम चंपारण के ठकराहा प्रखंड के धूमनगर गांव के भरपटिया टोले के पास दो दर्जन लोग गंडक नदी के किनारे नाव का इंतजार कर रहे हैं. शाम का गहराने लगी है. एक छोटी नाव अभी कुछ देर पहले छह-सात लोगों को लेकर निकली है. ग्रामीण नविक से जल्दी लौटने का आग्रह करते हैं ताकि सूरज डूबने के पहले अपने गांव तक पहुंच जाएं. घाट पर दो और नावें हैं, जो...
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