नयी सरकार की आर्थिक घोषणा को ‘बिग बैंग' बताने के लिए इस्तेमाल किया गया. बाद में नयी सरकार की आर्थिक सफलता के दावे को सही ठहराने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि असलियत यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास के मामले में लंबे समय से बहुत अच्छा कर रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था मामूली उतार-चढ़ाव के साथ करीब 7.5 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से बीते 12 साल से...
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सिर्फ व्यक्ति की आय बढ़ने से नहीं होता विकास : ज्यां द्रेज
नयी सरकार की आर्थिक घोषणा को ‘बिग बैंग' बताने के लिए इस्तेमाल किया गया. बाद में नयी सरकार की आर्थिक सफलता के दावे को सही ठहराने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि असलियत यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास के मामले में लंबे समय से बहुत अच्छा कर रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था मामूली उतार-चढ़ाव के साथ करीब 7.5 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से बीते 12 साल से...
More »राजनीति में धन के इस्तेमाल का जनप्रतिनिधित्व पर प्रभाव-- अनिल वर्मा
विशेषज्ञ वर्षों से कह रहे हैं कि राजनीति और चुनावों में धन के बढ़ते इस्तेमाल से निर्वाचन प्रक्रिया में गरीबों के लिए अवसर कम होते जा रहे हैं और इससे निबटने के लिए चुनाव सुधार जरूरी हो गया है. अब यही चिंता देश के मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने भी जतायी है. ‘राजनीति में धन के इस्तेमाल का जनप्रतिनिधित्व पर प्रभाव' विषय पर नयी दिल्ली में इस हफ्ते आयोजित...
More »महंगाई दर 5 फीसदी से ऊपर, रेपो रेट में कटौती की उम्मीद कम
नई दिल्ली। खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने की वजह से नवंबर में खुदरा कीमतों के हिसाब से महंगाई दर 5 प्रतिशत से ऊपर रहने का अनुमान है। दिक्कत यह है कि रिजर्व बैंक ने मध्यम अवधि के लिए महंगाई दर का लक्ष्य 5 प्रतिशत रखा है। ऐसे में नीतिगत ब्याज दरें घटाए जाने की गुंजाइश कम हो गई है। 21 अर्थशास्त्रियों के एक सर्वे के मुताबिक पिछले महीने रिटेल में...
More »चेन्नई बाढ़ : एक मानव निर्मित त्रासदी
चेन्नई की बाढ़ जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों का एक भयावह उदाहरण तो है ही, इससे हुई तबाही ने मानव समाज की खतरनाक गलतियों के नतीजों को भी रेखांकित किया है. हाल के वर्षों में उत्तराखंड, कश्मीर समेत देश के विभिन्न इलाकों में बाढ़ की त्रासदी का कहर लगातार बढ़ा है. तेज शहरीकरण और विकास की आपाधापी में सरकार और समाज प्राकृतिक तंत्रों को बेतहाशा बरबाद कर रहे हैं. नदियां...
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